माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ,
प्यारे से दुलार को कैसे लिखूँ,
सुबह का जगाना और रात लोरी सुनना
पल पल पूछे खाना खाले जो चाहे वही बनवाले
फिर बोले घर जल्दी आना देर हो जाए तो पहले बतलाना,
इस प्यारे से व्यवहार को कैसे लिखूँ
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ
मेरे कष्ट में तू टूट सी जाती,
खुद की तकलीफ को झट से छुपाती,
मुश्किल में तू मुस्काती,
मेरी जीत में फिर उछल सी जाती
तेरे इस एहसास को कैसे लिखूँ
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ
निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा तू बख़ूबी सिखलाती है
मेरे जीवन के सपनों को अपने सपने बतलाती,
थोड़ा भी मायूस होने पे तू भरपूर जोश हम में भर जाती है
अपनी दिन भर की मेहनत से तू घर में बहार ला जाती है
तेरे इस प्यारे से आभार को कैसे लिखूँ
माँ तेरे प्यार को कैसे लिखूँ
-मनीष
nice
Thanks a lot ??
बेहतरीन सर.. आपकी कविता ने मुझे मुनव्वर राणा की एक कविता स्मरण करा दी
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
तहे दिल से आभार आपका पन्ना जी ??
Waah
Superb