मानवता नि:शब्द

आज कुदरत भी शर्माया होगा,
मानव रूपी दानव जो बनाया l
विनायकी नहीं, मानवता ने दम तोड़ा l
मानवता का रूह सिहर उठा,
मानव द्वारा मानवता का चीर हरण हुआ l
मासूमों पर क्रूरता प्रमाण हुआ,
मानवता नि:शब्द…..
दोबारा निर्भया जैसी क्रूरता रची गई,
बहरुपी मानव की नींव हिलाई l
खाने में भयंकर पीड़ा परोसी,
नन्हे जान की भी नहीं सोची l
इस बर्बरता ने मानव चरित्र दर्शायी,
कुदरत सहम उठी l
मानवता नि:शब्द…..

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

नारी वर्णन

मयखाने में साक़ी जैसी दीपक में बाती जैसी नयनो में फैले काजल सी बगिया में अमराई जैसी बरगद की शीतल छाया-सी बसन्त शोभित सुरभी जैसी…

Responses

New Report

Close