मिठास दूँगा
शब्द हूँ
भुने चने सा
सूखा सा,
आपकी रसना के रस
में मिलकर मिठास दूँगा।
कह डालो कि
मैं भी आपका हूँ
फिर मैं भी
अपनेपन का एहसास दूँगा।
शब्द हूँ
भुने चने सा
सूखा सा,
आपकी रसना के रस
में मिलकर मिठास दूँगा।
कह डालो कि
मैं भी आपका हूँ
फिर मैं भी
अपनेपन का एहसास दूँगा।
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बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
वाह सर अति उत्तम पंक्तियाँ, अति उत्तम विचार
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत ही सुन्दर कविता और सुंदर अभिव्यक्ति..
बहुत बहुत धन्यवाद, सादर अभिवादन गीता जी
बहुत शानदार कविता waah
Thank you
भुने चने की उपमा अतुलनीय है
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत सुंदर कविता,
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद जी
सुन्दर पंक्तियां