मेरी कल्पना
जी करता है कागज में तस्वीर तेरी ऊतार दूं ,
दिल के किसी कोने का राज उसमें उकेर दूं |
ख़्वाब में था जो, हकीकत में उसे देख रहा हूं ,
खुद पे नहीं अंकुश, मन विचलित कर जाता हूं |
कल्पना थी कि कोई मुझसे भी प्रेम करे ,
इस टूटे हुए दिल का हाल मुझसे पूछ पड़े |
इंतजार में अखियां जन्मों से तरसी हुई हैं ,
चेहरा है सामने पर सवाल अब भी वही है |
जिस तरह राधा, कृष्ण की दीवानी थी कभी ,
तुम भी अपने इस कृष्ण में आज समा जाओ |
प्रेम अपने भीतर का लफ्जों तक ले आओ ,
संकोच भरा है हृदय का, इजहार से मिटा दो |
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Suman Kumari - January 30, 2021, 12:31 am
सुंदर
Satish Pandey - January 30, 2021, 8:31 am
बहुत सुंदर
Geeta kumari - January 30, 2021, 10:19 am
अति उत्तम प्रस्तुति
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 30, 2021, 9:03 pm
बहुत खूब