Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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झूठ कितना भी तांडव कर ले
सच के आगे उसे झूकना पड़ेगा ।
क्रोध कब-तक आग बनके जलेगा
आखिर राख बनके उसे सोचना पड़ेगा ।।
कवि विकास कुमार
Thanks a lot
बहुत खूब
Thanks
बहरूपियो के हर रूप से तो हम परिचित रहते हैं
पर ना जाने क्यों सच्चाई कहने की बारे में हम कुछ भी ना कहते हैं