“लेकर गुलाल रंगने लो हम आ गये”
इस फिजा में संवर कर लो हम आ गये,
कुछ अलग ही तेवर लेके लो हम आ गये…
थी नाराजगी यहाँ की हवाओं से हमको,
बदलकर हवाएं लो हम आ गये..
कुछ थे दुश्मन हमारे तो कुछ परवाने,
भुलाकर सभी गिले-शिकवे लो हम आ गये…
समयाभाव था मेरे जीवन में खालीपन,
लेकर थोड़ी फुर्सत लो हम आ गये…
मोहब्बत के मारे थे हम तो बेचारे,
भूलकर उस खता को लो हम आ गये…
स्वागत में हमारे हो कविता तुम्हारी,
है सावन हमारा और गीता हमारी…
हो गुलजार उपवन, है होली का मौसम,
लेकर गुलाल रंगने लो हम आ गये…..
है सावन हमारा और गीता हमारी…
हो गुलजार उपवन, है होली का मौसम,
लेकर गुलाल रंगने लो हम आ गये…..
______होली आने से पहले होली की बधाई प्रज्ञा,स्वागत … बहुत सुंदर रचना
Ji bilkul
Tq
अतिसुंदर भाव
Tq
बहुत ही सुंदर भाव आप तो कविता के माध्यम से जी उठती हैं प्रज्ञा जी अति उत्तम रचना
Oh my God thank you