वर स्वरुप में बमबम : अनुदित रचना

वर स्वरुप में बमबम
मालतीमालया युक्तं सद्रत्नमुकुटोज्ज्वलम्।
सत्कण्ठाभरणं चारुवलयाङ्गदभूषितम्।।
वह्निशौचेनातुलेन त्वतिसूक्ष्मेण चारुणा।
अमूल्यवस्त्रयुग्मेन विचित्रेणातिराजितम्।।
चन्दनागरुकस्तूरीचारुकुङ्कुमभूषितम्।
रत्नदर्पणहस्तं च कज्जलोज्ज्वललोचनम्।।
. भाषा भाव
मालती बड़ माल शोभित,रत्न मुकुट बड़ चमचम। कंगन बाजूवन्द मनोहर,हार गला में दमदम।।
अगर लेप तन चंदन केशर,रेख त्रिपुण्ड ललाट में साजल। वसन अनूप रुप मनमोहक,नलिन नयन नव काजल।।
कस्तूरी कुमकुम कें टीका,हाथ आरसी चमचम।।
देख विनयचंद महादेव को,वर स्वरुप में बमबम।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

दुलहिन गिरिजा माता : अनुदित रचना

दुलहिन गिरिजा माता सुचारुकबरीभारां चारुपत्रकशोभिताम्। कस्तूरीबिन्दुभिस्सार्धं सिन्दूरबिन्दुशोभिताम्।। रत्नेन्द्रसारहारेण वक्षसा सुविराजिताम्। रत्नकेयूरवलयां रत्नकङ्कणमण्डिताम्।। सद्रत्नकुण्डलाभ्यां च चारुगण्डस्थलोज्ज्वलाम्। मणिरत्नप्रभामुष्टिदन्तराविराजिताम्।। मधुबिम्बाधरोष्ठां च रत्नयावकसंयुताम्। रत्नदर्पणहस्तां च क्रीडापद्मविभूषिताम्।। भाषा भाव केशपाश…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

+

New Report

Close