विचार के जुगनू
कभी कभी मेरे मन के अंधेरे कमरे में
न जाने किस झरोखे से चले आते हैं
जुगनुओं से झिलमिलाते विचार…!!
मैं अपना हाथ बढ़ाकर कोशिश करती हूँ
उन्हें छू लेने की और वे छिटककर
आगे बढ़ जाने की…!!
बड़ी जद्दोजहद के बाद जब अपनी हथेलियों
में क़ैद कर लेती हूँ इक चमकता विचार…
तब उसे रख देती हूँ किसी कोरे कागज पर
ताकि उसकी रोशनी से कुछ पल के
लिये ही सही मिट सके मेरे
मन का अंधकार..!!
© अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 11, 2020, 11:02 am
सुंदर
अनुवाद - October 11, 2020, 12:53 pm
धन्यवाद 🙂
Geeta kumari - October 11, 2020, 11:25 am
Nice lines
अनुवाद - October 11, 2020, 12:54 pm
धन्यवाद
Pragya Shukla - October 11, 2020, 12:10 pm
Nice
अनुवाद - October 11, 2020, 12:54 pm
धन्यवाद