Categories: शेर-ओ-शायरी
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सत्ता का खेल
कल भी वही दौर था, आज भी वही दौर है । पन्ने पलट लो, इतिहास गवाह बतौर है । तख्तो-ताज लूट गये । राजे-महराजे मिट…
ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन
‘ऐ मेरी याद-ए-उल्फत सुन, तू इतना काम कर देना, जो उसको भूलना चाहूँ, मुझे नाकाम कर देना.. सुबह का वास्ता किससे, सहर की राह किसको…
अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
बहकावों में छले गए..
कुछ दावों में, वादों में, कुछ बहकावों में छले गए, भोले-भाले कुछ किसान झूठे भावों में चले गए.. खेतों में पगडण्डी की जो राह बनाया…
कुछ लोग………..
बहुत शराफत से पेश आये कुछ लोग हमारे जनाजे पर आये कुछ लोग आखरी रस्म की कदर करी उन सब ने हमें कांधा देने आये…
Dum nikal raha hain ghar main
Good
ऊब चुके हैं
Nice
वाह बहुत सुंदर