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प्रेम
मेरी लेखनी में अभी जंग लगा नहीं। प्रेम के सिवा दूजा कोई रंग चढ़ा नहीं। प्रेम में लिखता हूँ, प्रेम हेतु लिखता हूँ। प्रेम पर…
Likhta hoon
जो दिल में उतर जाए ऐसे जज़्बात लिखता हूँ, रातों की नींदें चुरा ले ऐसे ख्वाब लिखता हूँ। हकीम नहीं हूँ मैं कोई साहब, पर…
“मैं स्त्री हूं”
सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं। मैं स्त्री हूं। (कालकूट –…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बहुत सुंदर
Thank you
बहुत सुंदर पंक्तियां
बहुत सुंदर 👌👌
बहुत सुंदर और लाजवाब अभिव्यक्ति
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद