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फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

आतंकी की महिमा मंडित मंदिर और शिवाले खंडित पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी बोटी चाट रहे हैं पंडित भ्रष्टों को मिलती है गोदी…

अक़्ल

कुछ बेदर्द इंसानों ने अपनी अक्ल उतार कर रख दी, मासूम ज़िन्दगी की आईने में शक्ल उतार कर रख दी, दिन में लगे जो गहरे…

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