सब्जी वाला
वो मुफ्त में पालक काट दिया करता है
सब्जी के साथ मुफ्त में,
धनिया मिर्ची भी बांट दिया करता है
जेब से, मानो या न मानो
वो सब्जी वाला दिल से,
बहुत अमीर हुआ करता है
और तुम किस जगह चकाचौंध में,
मॉल चले जाते हो
सब दिखावटी है वहां पर,
वहां का सब्जी वाला..
“कैरी बैग” के भी पैसे मांग लिया करता है।
_____✍️गीता
कवि गीता जी की यह कविता काव्य की कसौटी पर उनकी कवि संवेदना का विस्तार है। कविता के भाव यथार्थ को साधने में सफल हुए हैं। अभिधा से बात को सच्चाई के धरातल पर प्रस्तुत किया गया है। शब्जी बेचते हुए आम आदमी का सच्चा प्रतिबिंब उकेरा गया है।
वो सब्जी वाला दिल से,
बहुत अमीर हुआ करता है
इन पंक्तियों से दकियानूसी पर प्रहार किया गया है। यह कविता कवि की जीवन्त सामर्थ्य का प्रमाण है। भाषागत सरलता कविता को और अधिक संप्रेषणीय बना रही है।
कविता की इतनी सुंदर समीक्षा के लिए धन्यवाद शब्द कम पड़ गए हैं सर। आपकी प्रेरणादायक समीक्षा ने मेरी कविता का बहुत मान बढ़ाया है सतीश जी । उत्साहवर्धक समीक्षा के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
सुंदर चित्रण
समीक्षा हेतु सादर धन्यवाद भाई जी🙏
वाह अति उत्तम कविता
Thank you very much Piyush ji for your precious compliment.
बहुत सुंदर रचना है गीता जी की, जो कहा गया है, वह सच कहा गया है, यह कविता को उच्चस्तरीय बना रहा है।
समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद चंद्रा मैम
उच्चकोटि की रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी