समन्दर की गहराई
समन्दर की गहराइयों में
उतर के देखो तो एक बार।
बहुत से राज खुल जाएंगे
जो छुपे हुए थे हरेक बार।।
मोती भी हैं सीप भी प्यारे
रत्नों का है बड़ा खजाना।
उतरोगे तो पाओगे तुम
गहराई से नहीं डर जाना।।
गहराई है पर दिल से गहरा
दुनिया में क्या होगा।
विनयचंद बहे प्रेम की नदियाँ
सतत समुद्र समाहित होगा।।
बहुत सुन्दर
समन्दर की गहराइयों में
उतर के देखो तो एक बार।
बहुत से राज खुल जाएंगे
………. बहुत सुंदर रचना है भाई जी, , ” जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ”…. सागर जितनी गहराई लिए हुए अत्यंत सुंदर रचना
शुक्रिया बहिन
वाह वाह अतिसुन्दर रचना
धन्यवाद पाण्डेयजी
समन्दर की गहराइयों में
उतर के देखो तो एक बार।
बहुत से राज खुल जाएंगे
जो छुपे हुए थे हरेक बार।।
मोती भी हैं सीप भी प्यारे
रत्नों का है बड़ा खजाना।
देर आए दुरुस्त आए
बहुत ही सरस, मधुर तथा कवि मन को आनन्दित करती रचना
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा बहन
Welcome
बहुत खूब
धन्यवाद
Great