सावन की सभा
सावन की सभा सजी है,
शुक्रवार की शाम है ।
महफ़िल में मित्र मिले है ,
सबके सुंदर – सुंदर नाम हैं ।
मित्र बने अनजाने थे सब,
अब लगते हैं, पहचाने से..।
सावन की सभा सजी है,
शुक्रवार की शाम है ।
महफ़िल में मित्र मिले है ,
सबके सुंदर – सुंदर नाम हैं ।
मित्र बने अनजाने थे सब,
अब लगते हैं, पहचाने से..।
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वाह, क्या बात है, बहुत बढ़िया पंक्तियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
वाह
Thank you very much dear pragya
मित्र बने अनजाने थे सब,
अब लगते हैं, पहचाने से..।
वाह, बहुत ही सुंदर और आत्मीय अभिव्यक्ति। लेखनी का अभिवादन
आपकी प्रेरक और सुंदर समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया सतीश जी । ये मेरा बहुत उत्साह वर्धन करती हैं।🙏
बहुत सुंदर पंक्तियां
बहुत बहुत शुक्रिया प्रतिमा जी
वाह जी वाह,
शुक्रिया चंद्रा जी
👌✍✍
Thank you
बिल्कुल सत्य
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏
बहुत खूब
धन्यवाद पीयूष जी
BAHUT KHOOB
शुक्रिया इंदु जी🙏
बहुत खूब, वाह
बहुत बहुत आभार मैम🙏
Atisundar
Thank you very much Isha ji