सितम पे सितम तुम ढाते रहे
सितम पे सितम तुम ढाते रहे
अफ़साने मगर महोब्बत के बनते रहे
लफ़्जों में कहां बयां होती है कहानी मेरी
कर सको गर महसूस तो जानो
किस कदर हम दरिया ए आग में जलते रहे…
कोई कभी कितना भी दूर क्यों न हो
हो जाते है करीब महोब्बत गर रहे
आंखों में जो हो जाये बयां
उस अहसास में हम ढलते रहे…
आंखों में जो हो जाये बयां…..waah, bht khoob!!
thank u so much ankit 🙂
mst wlcm
Waaaaaaaaahhhhhhhhh subanallah…… anjali ji
thanks dear pankaj 🙂
Subrbbb…..
thanks sachin 🙂
वाह बहुत सुंदर रचना
बहुत खूब