हम भारत हैं
“सारे जहाँ से अच्छा “जो कह दे
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
“हिन्दोस्तां हमारा ” कह दे
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
अपने देश को अपना कहो तो
आखिर क्या घट जाएगा?
ध्वजा तिरंगा के खातिर
अपना शीश कट जाएगा।
छाती ठोक कहने वाला
“आजाद”लाल कहाँ से लाऊँ?
कोई हिन्दू बन लड़ता है
कोई मुस्लिम का सरदार।
सिक्ख ईसाई दलित बना सब
कोई बाभन का अवतार।।
“हिन्दी हैं हम” कहने वाला
वो इकबाल कहाँ से लाऊँ?
बाँट के सबको जाति धरम में
आपस में लड़वा दे जो।
करा के दंगा हर कूचे में
आम खास मरवा दे जो।।
ऐसे नेता के झाँसे में
‘विनयचंद ‘ हरगिज़ न आऊँ।
हम भारत हैं भारत अपना
यही गान मैं दिल से गाऊँ।।
Is Kavita ke liye bahut Sara🌹🌺🌻💐
आशीर्वाद व धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना 👏👏👏👏
धन्यवाद
Bahut hi sundar kavita
Shukriya
Ati uttam
Thanks
Good
Thanks
वेलकम
सुंदर प्रासंगिक कविता। साधुवाद
very nice