हिंदी गंगाजल है ।।
रोम-रोम में बसी हमारे
हिंदी राजभाषा है
बन जाए यह राष्ट्रभाषा
इस जीवन की यह आशा है
हिंदी है परिपक्व, परिपूर्ण
हिंदी ही ममता-सी निर्मल है
हिंदी है लहू में अपने
हिंदी ही कण-कण में मिश्रित है
हिंदी मां के आंचल में है
हिंदी ही गंगाजल है
हिंदी है कवि के मन की पीड़ा
हिंदी ही शब्द-सागर है
हिंदी है संस्कृत की बेटी
हिंदी ही प्रज्ञा की जननी है
हिंदी है सबसे सरल, मनोरम
हिंदी ही उर्दू की भगिनी है।।
मातृभाषा हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डालती बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
आभार आपका
जय हिंद जय हिन्दी
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हिंदी भाषा पर बहुत सुंदर प्रस्तुति
धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां 👏👌
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