“क़त्ल” #2Liner-3
ღღ__नींद आँखों तक आने में, अब डरती है साहब;
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इक रात इनमें कुछ ख्वाबों का, क़त्ल हो गया था !!……..#अक्स
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Bahut khoob
thank uuuu bhai…..:)
कत्ल हो गया सरेआम हमारा
लहू लहू हो गया दिल हमारा
क्या कहर ढ़ाया है एक शेर कहकर
असली शेर भी भाग जाए शरमाकर..
thank u sumit ji……….n nice lines
कत्ल ए दिल करती हुई लाइनें
हाहाहा ……शुक्रिया भाई……:)
lot of emotions in just few words..nice
thanks a ton anupriya ji…….:)
क्या कहें कैसे कहें
हमारे जज्बातों को आपके ल्फ़्जों ने
किस तरह दिन दहाडे कत्ल कर दिया…. 🙂 बहुत अच्छी कविता
हौसला-अफज़ाई के लिए तहे-दिल से शुक्रिया मोहित भाई……. 🙂
Nice