ज़िन्दगी खफा है अब मनाऊँ किस तरह

ज़िन्दगी खफा है अब मनाऊँ किस तरह
दिल पे चोट है अब मुस्कुराऊँ किस तरह

चोट कोई अंदर है जिससे टिस उठती है
चिर से दिल दर्द अब दिखाऊँ किस तरह

आँखों के तलवों निचे,काई जमी रहती है
आँसुओं को आँखों में छिपाऊँ किस तरह

न सोता है न चैन से मुझे सोने देता है
दिल को अपने अब बहलाऊँ किस तरह

जल जल के हिज्र में दर्द खीरा हो गया
भीतर लगी आग को बुझाऊँ किस तरह

दिल तो सीने से “पुरव” निकलता नहीं
दर्द-ए-दिल ग़ज़ल में सुनाऊँ किस तरह

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

आतंकी की महिमा मंडित मंदिर और शिवाले खंडित पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी बोटी चाट रहे हैं पंडित भ्रष्टों को मिलती है गोदी…

Responses

+

New Report

Close