कोई क्या करे तब….
वक़्ता भी क्या बोले
जब कोई उसे
ध्यान से
सुनने को तैयार नहीं।
लेखक भी क्यों लिखे
जब कोई कुछ
दिल से
पढ़ने को तैयार नहीं।
गायक भी कैसे गाए
जब कोई
सुरों की
कदर करने को तैयार नहीं।
आशिक़ भी अपने दिल को
क्यों खोले
जब उसका प्यार उसे
समझने को तैयार नहीं।
दर्द में भी कोई
क्यों चींखे
जब कोई उसकी
चींख सुनने को तैयार नहीं।
गम में भी कोई
कैसे रोए
किसीके आगे
जब कोई उसका गम
समझने को ही तैयार नहीं।
कोई कैसे जीए
जब जीने का कोई
सहारा ही नहीं
और तो और
उससे मिलना भी
किसीको गवारा नहीं।
इंसान किसे ढूँढे
जब उसे
खुद की ही
मालूमात नहीं।
–कुमार बन्टी
Nice ji
SHUKRIYAA NEETIKA JI
SHUKRIYAA NEETIKA JI
वाह
बेहतरीन सृजन
बेहतरीन