तेरी अदा
सावन की बदरी सी बरसी
जो तेरे जुल्फो से बूंदे,
कच्चे मकां सा मेरा
ये दिल ढह गया।।
मदिरा के जाम सी छलकी
जो तेरी आंखों से मस्ती,
शराबी सा बदन मेरा
ये झूमता ही रह गया।।
पूनम के चांद सी बिखरी
जो तेरे होठों से मुस्कान,
गहरे समुंद्र सा मै
लहरों में बदल गया।।
स्वर्ग की अप्सरा सी निखरी
जो तेरी हर एक अदा,
जब भी देखा बस
देखता ही रह गया।।
किस- किस अदा का तेरी
जिक्र मै करूं,
एक – एक अदा पे तेरी
मै कईं बार मर गया।।
अनुज कौशिक
लाजवाब
धन्यवाद् सर
बहुत खूब
Thanks
सुंदर उपमानों से भरी सुंदर रचना।
जी धन्यवाद, आप भी काफी अच्छा लिखती हैं।
बहुत बहुत शुक्रिया 🙏….वैसे अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया जी
Good
Thanks sir
श्रृंगार काव्य का अच्छा उदाहरण