सर्दी और बेबस गरीब बच्चे
रूह भी कांपती है ठंडक मे कभी- कभी,
याद आती है हर मजबूरियाँ सभी तभी।
इन्सान को ज़िन्दगी की कीमत समझनी चाहिये,
जो हो सके मुनासिब वह रहम करना चाहिये।
जीवन है बहुत कठिन कैसे यह सब बताऊँ?
मजारों पर शबाब के लिए चादर क्यों चढ़ाऊँ?
ठिठुरता हुआ मुफलिस दुआयें कम न देगा,
खुदा क्या इस बात पर मुझे रहमत न देगा।।
सुन्दर स्वाभविक
Thank u sister
Wellcome
सुंदर
धन्यवाद
Nice
Thanks
Nice
Thanks
सुन्दर
Thanks
सुन्दर रचना
Good