होली आई है खुशियाँ लेकर
जला दो नफ़रत की होलिका
होली आई है खुशियाँ लेकर।
मिटे अहंकार की सब बोलियाँ
होली आई है खुशियाँ लेकर।।
काले गोरे का भेद मिटाकर
सबको एक रंग में रंग दे।
नशा चढ़े एक प्रेम का सबको
घोंट घोंट घोंटा भंग दे।।
जलनेवाले को जलने दे
बना विनयचंद प्रेम की टोलियाँ
होली आई खुशियाँ लेकर।।
जला दो नफ़रत की होलिका
होली आई है खुशियाँ लेकर।
मिटे अहंकार की सब बोलियाँ
होली आई है खुशियाँ लेकर।।
—– बहुत ही उच्चस्तरीय भाव, बहुत सुंदर कविता।
बहुत बहुत धन्यवाद पाण्डेयजी
अति सुन्दर
धन्यवाद श्रीमान
बहुत खूब
धन्यवाद श्रीमान
जलनेवाले को जलने दे
बना विनयचंद प्रेम की टोलियाँ
होली आई खुशियाँ लेकर।।
________ होली के पावन पर्व पर कवि विनयचंद जी की, बहुत सुंदर और उच्च स्तरीय रचना ,उम्दा लेखन
शुक्रिया बहिन
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
जला दो नफ़रत की होलिका
होली आई है खुशियाँ लेकर।
मिटे अहंकार की सब बोलियाँ
होली आई है खुशियाँ लेकर।।
काले गोरे का भेद मिटाकर
सबको एक रंग में रंग दे।
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होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपको।।
होली पर नफरत मिटाती है और प्रेम के भाव व्यक्त करते हुए
उच्च स्तरीय रचना।।
सबको एक रंग में रंग दे।
नशा चढ़े एक प्रेम का सबको
घोंट घोंट घोंटा भंग दे।।