❤माँ का निश्छल प्रेम❤
❤माँ और पत्नी❤
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माँ से जब मांगी एक रोटी,
माँ के चेहरे पर मुस्कान खिली…
पत्नी से मांगी जब रोटी तो
मन ही मन नाराज हुई….
माँ कहती ओ बेटा !
तू कितना ज्यादा सूख गया
पत्नी कहती- जिम जाओ जी !
आपका पेट है बाहर झांक रहा…
माँ को जब मालूम पड़े
कल बेटे की छुट्टी है,
बेटा मेरा आराम करेगा
रोज तो दौड़-भाग ही रहती है…
पत्नी पकनिक की प्लानिंग
पहले से ही बना लेती है,
पति करे यदि आनाकानी
तो झट से मुंह फुला लेती है….
पत्नी की अहमियत है जीवन में,
इससे मुझको इनकार नहीं…
पर माँ के निश्छल प्रेम की
बराबरी करने वाला,
इस दुनिया में कोई यार नहीं…
माँ के निश्छल प्रेम तथा पत्नी के मनोभावों को दर्शाती सुन्दर पंक्तियां
जी बिल्कुल….
सादर आभार
बहुत ख़ूब । मां तो आखिर मां है ,उसके जैसा कोई और कहां है
जी हाँ, बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब