पथिक
जीवन की राह को
नंगे पैर ही नापना पड़ता है
मिटटी की गर्मी को
छूकर ही भापना पड़ता है
चलते चलते कभी
रेत के टीले राह रोक लेते है
मै डर जाऊ मै घबराऊ
इसका ही तो मजा लोग लेते है
राह मे कांटे आए जब
रोता चलता रहा मै पथिक
पर जीना छोड़ दू
मन मे विचार ना आया तनिक.
सारा मनोबल टूट गया मेरा
जब राह मे एक बड़ा पत्थर आया
उससे भी मै बच गया
क्योंकि साथ था मेरे माँ-बाप का साया.
एक मोड़ पे मुझे कुछ लोग मिले
नेंन उनके ईर्ष्या और द्वेष से भरे
मैंने ध्यान ना दिया उनपर
पर चुगलियां करें बगैर उनको कैसे सरे.
मैंने सोच लिया है बस
मै चलता ही जाऊंगा
तभी तो जीवन की रहो का
पथिक मै कहलाऊंगा.
सत्य
Nice
Very nice
Nice
Good
Good
Good
Wah
वाह बहुत सुंदर
सच
Nyc