विश्व समर जीत
जाग हे पार्थ जाग तू,
 दे काल को अब मात तू,
 काल के कपाल पर अमिट रेखाएं खींच,
 अब तू  काल समर जीत।
स्वयं के सम्मान हेतु ,
विश्व के कल्याण हेतु ,
अपने अंदर के ज्वाल पुष्प को तू सींच,
 अब तो दिव्य समर जीत ,
अब तो विश्व समर जीत ।।
 हो रही हूंकार है ,
उठ रही तलवार है,
 गांडीव के बाण से ,
विश्व के इतिहास में ,
गाथा नवीन लिख।
उड़ उड़ान बाज की ,
हुंकार हो वनराज की,
 हर संकट में बने कठिनाई तेरी मीत,
 अब तू धर्म समर जीत।
 अब तो विश्व समर जीत।।
		
				
Nice
Thankyou sir
Nice poem keep it up👍👍
@ayush maurya….thankyou so much
nice
@Rakhi gupta…thankyou maam
विश्व पर अच्छी रचना
👌
Nice कविता
Good 🙏🙏