आत्महत्या न कर
आत्महत्या न कर
जिन्दगी को बचा,
कोई दुख तेरे जीवन ज्यादा नहीं।
देख चारों तरफ
जो घटित हो रहा
ढूंढ खुशियां उसी में, दुखों को नहीं।
दुःख तो आते रहेंगे
जाते रहेंगे।
तेरा आना न होगा दुबारा यहां।
रूठ जाये भले
तुझसे संसार यह,
पर स्वयं से कभी रूठ जाना नहीं।
भोग ले सारे संसार के
सुख व दुख
पर दुखों स्वयं को डराना नहीं।
आस मत रख किसी से
जी बिंदास बन
अपने जीवन ऐसे डुबाना नहीं।
और बुझदिल न बन
कर ले संघर्ष तू
आत्महत्या से खुद को गंवाना नहीं।
—– डॉ0 सतीश पाण्डेय,
बहुत प्रेरणादायक👌👌
आभार
बहुत खूब
थैंक्स जी
अतिसुन्दर
👏
खूब
👏👏
किसी टूटे हुए इंसान में उमंग मे
व अभिलाषा लाने वाली बेहतरीन पंक्तियां
सादर धन्यवाद ‘मानुष’ जी
Very nice
🙏💐
Nice
धन्यवाद 🙏💐
कविता से ऐसे सन्देश जरूर जारी होने चाहिए, सावन को विशेष धन्यवाद
सही बात है थैंक्स सावन
Thank you
धन्यवाद
सही कहा आपने सीख देती हुई रचना
Thanks