क्योंकि मैं इंसान हूं

“क्योंकि मैं इंसान हूं ”

इंसानियत है मेरे अंदर,
क्योकि मैं इंसान हूं ।
धर्म है मेरे में मानवता का;
और बंधन भी है ,
नैतिकता का अंदर;
क्योंकि मैं इंसान हूं।

अगर मैं मान लूं अपने अहम् की;
कर दूं राख अपने संयम की,
मानो फिर एक हैवान हूं।
इंसानियत है मेरे अंदर ,
क्योंकि मैं इंसान हूं ।

समझू ना मैं औरों को कुछ भी ,
करू मनमानी अपने मन की,
समझो फिर शैतान हूं ।
इंसानियत है मेरे अंदर ,
क्योंकि मैं इंसान हूं।

भ्रम है मोह माया ,
इसको कोई समझ ना पाया,
अगर बनूं में हमदर्द किसी का,
बांटू खुद से ;दुख- दर्द किसी का।
समझो फिर एक गुणवान हूं।
इंसानियत है मेरे अंदर ,
क्योंकि मैं इंसान हूं।
               ……..  मोहन सिंह मानुष

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

हिन्द की आभूषण

नैतिकता हिन्द की आभूषण है, परिचायक इसके प्रभु रामजी हैं l सीतामैया अग्नि परीक्षा दी l कैसी ये नैतिकता थी ? स्वार्थरहित पीड़ा थी l…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

  1. इंसानियत पर प्रकाश डालने का सफल प्रयास किया गया है, वास्तव में इंसान वही है जो दूसरे का दर्द अपना दर्द समझे, तत्सम और तद्भव शब्दावली का यथानुरूप समन्वय किया गया है, सुन्दर कविता है.

  2. आपने मानवता के विभिन्न पक्ष दिखाए हैं जिस प्रकार सूरदास ने
    वात्सल्य का कोना कोना छक्का था उसी प्रकार आपने मानवता के सभी पक्षों को उ जागर किए हैं

+

New Report

Close