देख सखी आए हैं जवांई
मंजुल रूप लेकर, देख सखी आए हैं जवांई।
रौनक लग गई मेरे घर पर,
बजने लगे ढ़ोल शहनाई
आया घोड़ी पे सवार ,वो बांका कुमार,
लाने मेरी बिटिया के जीवन में बहार
देख के उसको बिटिया, धीरे से मुस्काई,
थोड़ी सी शरमाई, थोड़ी सी सकुचाई
खुशियों की लाली उसके मुखड़े पे छाई,
वो विनीत है, वो विनम्र है, लोग कहें मेहमान है
पर मेरे लिए वो पुत्र के समान है।
मांग उसके नाम की सजाती है जो,
करता उसका सम्मान है।
खुश रखता है निज पत्नी को,
मुझे उस पर अभिमान है।
अपनी लाडो को दे के उसके साए में,
मेरे दिल को सुकून है, दिमाग को आराम है।
Nice
Thank you 🙏
पारिवारिक जीवन की सुंदरता का मनोहारी चित्रण किया गया है
आभर सहित धन्यवाद🙏
रिश्तो की बागडोर को संभालती हुई रचना बहुत ही सहायता से कवित्री ने अपने भावों को प्रकट किया है तथा पारिवारिक स्थिति को बयां किया है
वाह बहुत सुंदर पंक्तियाँ
आभार🙏
Very nice
Thank you ji
गजब पंक्तियाँ
Thank you very much Piyush ji 🙏
nice poem
Thank you very much Indu ji 🙏