कृष्णा- जन्म
रात थी गहरी, काली, अंधियारी
जब जन्मे थे, गोपाल – गिरधारी।
भाद्रपद का मास था, कृष्णा पक्ष की अष्टमी,
दिन, उस दिन बुधवार था, नक्षत्र था रोहिणी।
वसुदेव, देवकी के खुल गए ताले,
सो गए सारे पहरे वाले।
आई काली घनघोर घटाएं, बेशुमार जल बरसाती जाएं
उधर कंस का डर सताए, नन्हा बालक कहां छिपाएं ।
वसुदेव को फ़िर आया ध्यान, एक परम मित्र का नाम ।
चल दिए कान्हा को लेकर, वसुदेव नंद के ग्राम ।
सिर पर लेकर एक टोकरी, उसमे कान्हा को लिटाया,
देखो जमना जी का भी, जल – स्तर था बढ़ आया
बारिश हो रही थी छम – छम, मेघ बरस रहे थे झम – झम
शेषनाग ने करा था साया, जमना जी ने चूमे प्रभ – पांव ।
वर्षा भी अब थम चुकी थी,
देवकी – नंदन आ गए नंद के गांव ।
इस तरह पहुंचे वसुदेव नंद के धाम,
जय हो कृष्णा ,हाथ जोड़कर तुम्हे प्रणाम।🙏
Nice
Thank you 🙏
Bahut sunder 👌👌👌👌
Thank you sapna
Nice
Thank you 🙏
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
श्रीकृष्णजी के जन्म का सजीव चित्रण
आभार सहित धन्यवाद 🙏
बहुत सुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
Beautiful 👌🏻
आभार सहित धन्यवाद 🙏
Awesome 👏 morning
Thank you
So nice
Thank you
Radhey Radhey shyam mila de 💙🙏🏻
राधे राधे
Radhey Radhey jai ho girdhari bansi wale ki jai💙🙏🏻
Radhey Radhey💙🙏🏻
So beautiful aunty Radhey govind 🙏🏻💙
Thank you very much
Shree radhey 👍
राधे राधे
Radha govind 💜💙
Very good
Thank you ji🙏
अतिसुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी
Thanks bro🙂