बरखा ऋतु
आज फ़िर मेघा बरसे, रिमझिम – रिमझिम,
मन – मयूर नृत्य कर उठा, छ्मछम – छमछम।
ठंडी – ठंडी पवन चली है,
खिल उठे सारे वन – उपवन।
वृक्ष भी नाचें ,झूम – झूमकर,
लिपटी लताएं चूम – चूमकर,
गीत सुरीला गाती हैं।
बरखा ऋतु आने से आई ,नई कोंपल हर शाख
मेरे मन भी उठी उमांगें, छू लूं मैं आकाश।
सुन्दर अभिव्यक्ति और सुन्दर रचना प्रस्तुति
बहुत सारा धन्यवाद प्रज्ञा जी
Welcome sis
सुंदर रचना
शुक्रिया जी
Beautiful
Thank you
शब्दों का आपने बहुत ही अच्छा ख्याल रखा है
यह गाने में रोचक हो जाता है
बहुत खूबसूरत कविता
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।🙏 आप की समीक्षाएं उत्साह वर्धन करती हैं।
बहुत ही बेहतरीन
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आपकी लेखनी बहुत ही बेहतरीन है। आपने सुन्दर रचना की है, यह विलक्षणता सदैव यूँ ही निखरती रहे
बहुत आभार,🙏बस आप सब मित्रों का सहयोग यूं ही बना रहे।
Thanks for your pricious complement.
Very Nice
Thank you very much 🙏
सुंदर चित्रण
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
Great lines
Thanks for your pricious complement Piyush ji 🙏
Thank you