आँसू हुए शुमार जब..

‘समंदर समझ रहा था कि मौजें यूँ ही बनी,
आँसू हुए शुमार कुछ, तब जाके कहीं बनी..’

– प्रयाग
मौजें – लहरें
शुमार – गिनती में शामिल होना

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Responses

  1. सर बहुत बढिया
    पर मैं चाहता हूँ कि आप
    पूर्ण हिंदी में कविता लिखें
    उर्दू अच्छी है
    पर हिंदी सबसे अच्छी वा सुदृढ़ भाषा है

    1. जी मैं दोनो में ही लिखता हूँ आप मेरी प्रोफाइल पर जाएंगे तो आपको हिंदी रचना भी मिलेगी । कभी कभी मैं पंजाबी में भी लिखता हूँ मल्टीलेंग्वल राइटिंग मेरी यू.एस.पी है बस इसीलिए थोड़ा अलग अलग शब्दकोश प्रयोग में लाता हूँ

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