मुस्कान आपकी
मुस्कान आपकी
खिले फूल जैसी,
भुलाने सक्षम है
गम हमारे।
वाणी में इतना
मीठा भरा है,
विरोधी भी हो
जाते हैं तुम्हारे।
चमकता हुआ बल्ब
बोलूँ न बोलूँ,
मगर इस अंधेरे में
हो तुम दुलारे।
निराशा के कुएं में
पड़ने लगे थे
मगर तुमने आकर
किये नौ सहारे।
बहुत बढ़िया वाह
बहुत सुंदर रचना
वाह
अति उत्तम रचना
मुस्कान आपकी
खिले फूल जैसी,
भुलाने सक्षम है
गम हमारे।
______कवि की कोमल भावनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति, सुन्दर शिल्प और भाव लिए हुए बहुत सुंदर कविता
बहुत ख़ूब, अति उत्तम
JAY ram jee ki
Beautifully craft