किसी को दुःख न मिले

सब पायें नवरंग
किसी को दुख न मिले भगवान।
भरपेट भोजन, वसन ढका तन,
आस चढ़े परवान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
जीवन सबका खुशियों भरा हो
सूखे न मन कोई,
हरा ही हरा हो,
खूब उगें धन-धान।
किसी को दुख न मिले भगवान।
समरसता हो
लोगों के भीतर,
भेदभाव सब दूर रहे
मानव एक समान।
किसी को दुख न मिले भगवान।
सब राजा हैं
सब प्रजा हैं
कोई न समझे मालिक खुद को
सब हैं यहाँ मेहमान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
सब पायें नवरंग
किसी को दुःख न मिले भगवान।

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समझदार हो गर, तो फिर खुद ही समझो। बताने से समझे तो क्या फायदा है॥ जो हो ख़ैरियतमंद सच्चे हमारे, तो हालत हमारी ख़ुद ही…

Responses

      1. सब राजा हैं
        सब प्रजा हैं
        कोई न समझे मालिक खुद को
        सब हैं यहाँ मेहमान।
        किसी को दुःख न मिले भगवान।
        सब पायें नवरंग
        किसी को दुःख न मिले भगवान।

        Jay ram jee ki

  1. कोई न समझे मालिक खुद को
    सब हैं यहाँ मेहमान।
    किसी को दुःख न मिले भगवान।
    सब पायें नवरंग
    किसी को दुःख न मिले भगवान।
    ________ सहृदय कवि की प्रभु से सुंदर प्रार्थना करती हुई अति उम्दा प्रस्तुति शानदार रचना

  2. बहुत सुन्दर कविता। सभी के लिए सुंदर प्रार्थना। लेखनी को प्रणाम।

  3. ईश्वर से मानव के लिए सुंदर प्रार्थना करती हुई रचना सबका कल्याण हो सबका भला हो यही सार लेती हुई पंक्तियां

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