किसी को दुःख न मिले
सब पायें नवरंग
किसी को दुख न मिले भगवान।
भरपेट भोजन, वसन ढका तन,
आस चढ़े परवान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
जीवन सबका खुशियों भरा हो
सूखे न मन कोई,
हरा ही हरा हो,
खूब उगें धन-धान।
किसी को दुख न मिले भगवान।
समरसता हो
लोगों के भीतर,
भेदभाव सब दूर रहे
मानव एक समान।
किसी को दुख न मिले भगवान।
सब राजा हैं
सब प्रजा हैं
कोई न समझे मालिक खुद को
सब हैं यहाँ मेहमान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
सब पायें नवरंग
किसी को दुःख न मिले भगवान।
बहुत लाजवाब कविता
बहुत धन्यवाद
सब राजा हैं
सब प्रजा हैं
कोई न समझे मालिक खुद को
सब हैं यहाँ मेहमान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
सब पायें नवरंग
किसी को दुःख न मिले भगवान।
Jay ram jee ki
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
सादर धन्यवाद
कोई न समझे मालिक खुद को
सब हैं यहाँ मेहमान।
किसी को दुःख न मिले भगवान।
सब पायें नवरंग
किसी को दुःख न मिले भगवान।
________ सहृदय कवि की प्रभु से सुंदर प्रार्थना करती हुई अति उम्दा प्रस्तुति शानदार रचना
इस प्रभावशाली और प्रेरक समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। सादर अभिवादन
वाह बहुत शानदार प्रस्तुति👌👌🙏
बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर कविता। सभी के लिए सुंदर प्रार्थना। लेखनी को प्रणाम।
सादर धन्यवाद
वाह बहुत ही सुन्दर रचना।👍🙏💐
बहुत बहुत धन्यवाद
सबके लिए दुआ मांगना
एक निश्छल कवि की भावना
बहुत खूब
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद, शास्त्री जी,
ईश्वर से मानव के लिए सुंदर प्रार्थना करती हुई रचना सबका कल्याण हो सबका भला हो यही सार लेती हुई पंक्तियां