इलज़ाम #2Liner-82
ღღ__कुछ और इलज़ाम बाकी हों, तो वो भी लगा दो “साहब”; . अभी ना-काफ़ी हैं सितम तुम्हारे, मोहब्बत में, जाँ से जाने को!!…#अक्स .
ღღ__कुछ और इलज़ाम बाकी हों, तो वो भी लगा दो “साहब”; . अभी ना-काफ़ी हैं सितम तुम्हारे, मोहब्बत में, जाँ से जाने को!!…#अक्स .
ღღ__बिन मौसम बरसात यूँ, जला रही है मुझको “साहब”; . जैसे शमाँ जलाती है, अपने परवाने को बुला के पास!!….#अक्स .
. ღღ__रात के सन्नाटे की, कुछ ऐसी आदत लगी है “साहब”; . कि सुबह के शोर में हमसे, अब और जिया नहीं जाता!!….#अक्स .
. ღღ__तेरी पहली नज़र का रंग ही, अब तक उतरा नहीं “साहब”; . हम किससे खेलें होली, हमपे कोई रंग डालता नहीं !!…..#अक्स .
. ღღ__क्यूँ उड़ा-उड़ा सा लगता है, तुम्हारे चेहरे का रंग “साहब”; . सब लोग तो कर रहे हैं, कि रंगों का त्यौहार आया है !!…..#अक्स…
. ღღ__ना कोई उम्मीद, ना तड़प, ना ही इंतज़ार किसी का; . कितना अच्छा होगा वो जहाँ, जहाँ मोहब्बत नहीं होगी !!….अक्स .
. . ღღ__ख़ुदा से माँगते क्यूँकर, भला हम, दुआएँ उनके रोने की; . वो इश्क करने लगें किसी से, सज़ा को इतना ही काफी है!!…..#अक्स…
. ღღ__कल फिर आईने ने मुझसे, ये पूछ ही लिया “साहब”; . कि कहाँ रहते हो आज-कल, और कबसे चेहरा नहीं देखा!!…..#अक्स .
ღღ__प्यार को अशआरों में, बयान करना बड़ा मुश्किल है; . ये तो अच्छा हुआ, निगाहों की हर बात वो समझते रहे!!….#अक्स .
ღღ__सुलगती रहीं तुम्हारी यादें “साहब”, कल फिर से रात भर; . मैं जलता रहा तमाम रात, फिर से आंसुओं की बारिश में !!….#अक्स
ღღ__चलो मिल ही लेते हैं “साहब”, फिर कभी न मिलने को; . यही ख्वाहिश बची है दिल में, इक आखिरी ख्वाहिश की तरह!!….#अक्स .
ღღ__ख़ुद से है, खुदा से है या तुझ से है “साहब”; . जाने क्यूँ, इक नाराज़गी-सी रहती है आज-कल!!….#अक्स .
ღღ__भला लफ़्ज़ों में इंतज़ार को, कहाँ तक लिखे कोई “साहब”; . कभी तुम खुद ही आके देख लो, कि अब थक रहा हूँ मैं !!….#अक्स…
ღღ__भटक रहा था कबसे, मैं इक अनछुए सवाल की मानिन्द; . तेरे खामोश-से जवाब ने “साहब”, लाजवाब कर दिया मुझे!!….#अक्स .
ღღ__सुनो…तुम रुक ही जाओ ना मेरे पास, हमेशा के लिए; . यूँ रोज़ आने-जाने में साहब, वक़्त बहुत लगता है !!……#अक्स .
ღღ__एक बाज़ी गर जीत भी गया, बेईमानी से वो साहब; . महफिल फिर से सज जायेगी, कि वफात बाकी है मेरी !!……#अक्स
ღღ__तुमसे मिलने की तलब, कुछ इस तरह लगी है “साहब”; . जिस तरह से कोई मयकश, मयखाने की तलाश करता है !!…..#अक्स .
ღღ__बहुत खामोश रहते हो, तुम भी आज-कल “साहब”‘; . ख़ुदा से है शिकायत या, खुदी से नाराज़ रहते हो !!…..#अक्स .
ღღ__मोहब्बत थी तुझसे ही, तुझसे ही हर गिला रहा; . उम्र-ए-शब-ए-रोज़ का, बस यही सिल-सिला रहा !!……#अक्स .
ღღ__बिछड़कर देर तक तुझसे, उस दिन मैं सोंचता रहा “साहब”; . मोहब्बत गर ना हुई होती तो, मेरा क्या हुआ होता !!……#अक्स .
ღღ__कभी फुरसत मिले जो ‘साहब’, तो पूरी ये अहद कर दो; . कुछ इस हद तक मुझे चाहो, कि बस “हद” कर दो !!…..#अक्स .
ღღ___बहुत सुना था ऐ इश्क़, तेरे बारे में लोगों से; . देख सांसों की ज़मानत पे, मैं तुझसे मिलने आया हूँ !!…..#अक्स .
ღღ__मैं कह ही नहीं पाता, या तुम समझ नहीं पाते साहब; . कि अक्सर कुछ सवालों के, कोई जवाब नहीं होते !!…..#अक्स .
ღღ__इसमें कोई शक नहीं, कि तुम सबसे जुदा थे “साहब”; . मगर ऐसा भी क्या जुदा होना, कि हमसे ही जुदा रहो!!…..#अक्स .
ღღ__तू गर नाराज़ है मुझसे, तो रह, खुदा करे; . मैं भी चाहता हूँ मेरे हक़ में, कोई बद्दुआ करे!!……#अक्स .
गरीबी ख़ुद के सिवा, औरों पे असरदार नहीं होती; शायद इसीलिए भूखों की, कोई सरकार नहीं होती !! . महज़ दो वक़्त की रोटी, और…
ღღ__इबादतगाह भी जाऊं तो, तुझे ही ढूँढती हैं नज़रें; . शौक-ए-दीदार ने तेरे, मुझे काफ़िर बना दिया !!…..#अक्स .
ღღ__आखिर इसमें उनकी, खता भी क्या है साहब; . जब मोम सा दिल रखोगे, तो दुनिया जलाएगी !!……#अक्स .
सुनते हो साहब, मोहब्बत गुज़र रही है अपनी; . ღღ__मैंने देखा था उसे, तेरे साथ जाते हुए !!….#अक्स .
ღღ__वो इक पल जिसमें तुम्हारे लब हों, मेरे लबों के पास; . उस वक़्त भी हम रहें शरीफ?? “तौबा साहब, तौबा” !!…..#अक्स .
ღღ__यूँ तो अरसा हुआ है साहब, तुमसे गले मिले हुए; . पर जिस्म मेरा आज भी, इत्र-सा महकता है !!……#अक्स .
लो आ ही गयी साहब, उनकी याद, आज फिर आखिर; . और वो आज फिर नहीं आये, इतने इंतज़ार के बाद !!…..#अक्स
ღღ__आँखों को ख्वाब की, इस कदर भूख है साहब; . जैसे लगता है ख्वाब में, “तुम” आ ही जाओगे!!…..#अक्स .
तसव्वुर में तेरे, अब तो कटती नहीं रातें; . आखिर तेरे इंतज़ार की, कोई इन्तेहा तो हो!!….#अक्स
ढूंढने से ही मिलता है, पर रस्ता ज़रूर होता है; जो महँगा होता है कभी, वो सस्ता ज़रूर होता है!!…..#अक्स
ღღ__ख्वाहिश है इश्क की, और वो भी सुकून के साथ; . तुम भी ना साहब, कभी-2 अच्छा मजाक करते हो !!……#अक्स .
Entry for “Poetry on Picture Contest” ღღ_हर लम्हा, हर लफ्ज़, बस एक ही आरजू; अरे, दुनिया में बस वही, एक इंसान थोड़े है! . याद…
ღღ__दिल तो करता है कभी-2, तेरी यादों को ज़हर दे दूँ साहब; . फिर सोंचता हूँ, भला ये भी, कोई उम्र है ख़ुदकुशी करने की!!….#अक्स…
ღღ_हर लम्हा, हर लफ्ज़, बस एक ही आरजू; अरे, दुनिया में बस वही, एक इंसान थोड़े है! . याद करते रहते हो, रात-रात भर उसको;…
ღღ__अक्सर खुद ही खुद से बाज़ियॉं, खेलता रहा साहब; . डर तो अब लगता है, जब खुद को हार बैठा हूँ !!…..#अक्स .
ღღ__कशिश आज भी वही है, और शिद्दत भी वही है “साहब”; . महज़ ख्वहिशों का तेरी, “अक्स” बदला हुआ सा लगता है!!……#अक्स .
ღღ__आज भी तुमको, झूठ बोलना नहीं आता “साहब”; . कि ठीक होने में, और कहने में बहुत फर्क होता है!!……#अक्स .
ღღ__सज़ा में एक ही लफ्ज़ है, तेरे हर इक गुनाह का मेरे पास; . कि तुम इतने मासूम हो साहब, जाओ “माफ” किया तुम्हें!!……#अक्स .…
ღღ__मेरे होंठों पे आज भी, कायम है तेरी खुशबू; . इनपे भला शराब का, अब असर कहाँ होगा !!…….#अक्स .
ღღ_अजब ही चीज़ हैं, ये ख्वाहिशें “साहब”, मैं टूट भी जाऊँ, तो बिखरने नहीं देती; . एक तुम हो, कि मुझसे दूर ही रहते हो,…
ღღ__कब तलक भटकोगे आखिर, महज़ सुकून की तलाश में; . ये वो शै है “साहब”, जो शायद तेरे नसीब में ही नहीं !!……#अक्स .
ღღ__आरजू मौत की नहीं लेकिन, अब जी के भी क्या करना है; . ज़िन्दगी जी भर के यूँ जी है, कि अब ‘जी’ भर गया…
ღღ__मौत को भी आखिर, गुमराह कब तलक करते; . ज़िन्दगी छोड़ दी हमने, हर लम्हा तुम्हारा करके !!…….#अक्स
ღღ__ज़िन्दगी भी कुछ ऐसे ख्याल में गुजरी; जैसे शब्-ए-फुरकत किसी मलाल में गुजरी !! . जिसमें इश्क़, हो जाता है बे-वजह; वो उम्र तो बस,…
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