हाथ चूमा…….

पूछा जो उसने य़े गुलाब कितने का हैं, हमने हाथ का छाला उसको दिखा दिया रो कर उसने जो हमारा हाथ चूमा, सारे दर्द को…

बेसहारा…….

पुछते तो हाल हमसे क्या, तोड़ कर दिल हमारा हमने तोबा कर ली, आप भी कर लो किनारा….! किसी और के साथ बस ऐसा ना…

“घर लौटे”…….

दुनिया की इस भीड़ में कोई अपना ना मिला ज़हा भी दामन फैलाया, मायूस लोंटे….! कमा ना सके किसी की दोस्ती, किसी की मोहोब्बत गम,…

“चलो तुम से”

चलो तुम से ये भी वादा रहा की तुम्हें हम कभी न सताएंगे, आप भी हमारे ख़्वाबों में मत आना और हम भी आपके ख़्वाबों में…

“अगर वो”

अगर वो दरिया-ऐ-हुसून रखते है तो हम भी गम-ऐ-सागर रखते है वो रखते है अगर दामन में, खंज़र-ऐ-बेवफाई तो हम भी, तन्हाई का गागर रखते…

“ख्याल था”

इसलिए भी हमने बदनाम नहीं किया उसको और उसकी ज़ात को साहिब कुछ तो अपनी मोहोब्बत का ख्याल था कुछ उसकी झूठी इज़्ज़त का ख्याल…

“उम्मीद-ऐ-दिल”

  उम्मीद-ऐ-दिल से हर कोई बफा नहीं करता खुवाईश-ऐ-मंज़िल से हर कोई गिला नहीं करता निकल पड़ते है न जाने कितने ही लोग सफर-ऐ-इश्क़ की…

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