by Pragya

मृत्यु तक क्यों कोई सीड़ी ना जाती !!!

April 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यों हो जाते ख्वाब हैं झूठे
मिट जाते सब उजियारे
चहुँ ओर फैल जाता है अंधियारा
उजड़े-उजड़े गलियारे
पुष्पों की सुगंध खो जाती
निर्मल पावन क्यों गर्म हो जाती
पानी की मीठी-मीठी धारे
विपरीत दिशा क्यों बह जाती
यह मर्म तो कोई ना जाना
मृत्यु तक क्यों कोई सीड़ी ना जाती!!!

by Pragya

“आत्महत्या कानूनन अपराध”

April 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मां की ममता दिखी धरा पर
पिता का अविरल प्रेम मिला
भाई का स्नेह मिला और

by Pragya

सच्चाई की बारी है

April 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ख्वाबों में जो देखा
उसको सच करने की बारी है
धोखाधड़ी अब बहुत हुई
सच्चाई की बारी है
नेताओं के भाषण से
अब ना हमको विचलित होना है
सच्चा नेता कौन है हमको
बस उसको ही चुनना है
बड़ी पार्टी या हो छोटी
हम को क्या लेना देना
हम तो चुनेंगे नेता उसको
जिसको हो हमसे लेना देना
समझे बात हमारी और
समस्याओं का निदान करें
नेता ऐसा हो हमारा
जो हमसे थोड़ा प्यार करें।।

by Pragya

जीना हमने सीख लिया

April 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीना हमने सीख लिया
बरसों बाद…
गिरे पड़े थे उठ कर बैठे
सपने मेरे जग कर बैठे
जगती आंखों देखे सपने
उनको पूरा करना सीख लिया
जीना हमने सीख लिया
बरसों बाद…

by Pragya

उनकी लेखनी को नमन है 🙏🙏

April 19, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सीखा तो हमने भी बहुत कुछ है
तुम्हारी लेखनी से
कैसे अविरल,
निर्भीक चलती है
शब्दों की सुंदर कारीगरी तो रहती ही है
साथ में भावों की लहर बहती है
हम तो समझते थे कि हम कवि हैं
पर आज कुछ पुराने कवियों की
कविताएं पढ़ने के बाद
मेरे मस्तक पटल खुल गए
जाग उठी स्मृति रेखाएं
लगा जैसे कुछ नहीं आता
क्या लिखा करती हूं मैं
उनकी लेखनी को नमन है
जिन्होंने सावन को सजाया
मैं खुद को कवि समझती थी
मेरे इस भ्रम को मिटाया।।

by Pragya

किसी दिल में उदासी है।।

April 18, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मुक्तक:-

किसी दिल में उदासी है
कहीं उदासी में ही दिल है
तेरी आंखों का दरिया
मेरे दिल के काबिल है
यकीन करना बड़ा मुश्किल
मगर सच है हकीकत है
तेरी बेरुखी कहती है
तुझे मुझसे मोहब्बत है।।

by Pragya

मोमबत्तियों-सा है जीवन अब तो..!!!

April 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोमबत्तियों-सा है जीवन
अब तो
पिघलना है प्रकाश फैलाना है
काव्य लिखने का मन है
अब तो
तेल डाल दे कोई
मेरे जीवनरूपी दीपक में,
अभी और तम मिटाना है
अभी इमारतें बनानी हैं
अभी वो आसमां झुकाना है
वैमनस्यता मिटानी है
प्रेम का दीपक जलाना है
खत्म होने को है
मेरे कलम की स्याही
बाजार से कल और
खरीद लाना है
डायरी के पन्ने कम पड़ गए हैं
फिर उस दोस्त से मंगाना है।।

by Pragya

हाय टिंकू ! तू आज बहुत याद आया।।

April 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज जब भूल बैठी थी
सदियों बाद छत पर बैठी थी
ठंडी-ठंडी हवाएं तन को छू
रही थी
तुम्हारी यादें मन को छू रही थीं
सरसराहट पत्तियों की
कानों तक जा रहीं थीं
चाय की गर्म चुस्कियां भी
ले रही थी
की अचानक गली से कोई गुज़रा
मुझे लगा की तुम हो
चाय की कप वहीं
छोंड़ कर भागी
मैं सारे बन्धन तोड़ कर भागी
पर धम्म से वहीं बैठ गई
दिल की धड़कन रुक गई
सांस किधर गई!
तुम्हें ना देखकर कुछ
खो-सा दिया
हाय टिंकू !
तू आज बहुत याद आया।।।

by Pragya

चिठ्ठियों की वेदना

April 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

चिठ्ठियों की वेदना
कभी सुनी है तुमने?
कितना सिसक-सिसककर
रोती हैं
एक पते को ढूढ़ने में
जमाने लगते थे
अब बात क्षण भर में पहुँचती है
लिखने वाले और पढ़ने वाले में
एक कल्पना का समन्वय होता था
विचार रूह तक पहुँचते थे
प्रेमी और प्रेमिका के
चेहरे चिठ्ठियों में दिखते थे
सालों तक दिल से लगा के
रखते थे लोग अपने अपनों की चिठ्ठियों को
इन्तज़ार रहता था डाकिये का बेसब्री से
चिठ्ठियों में भाव प्रकट होते थे।।

by Pragya

अद्भुत है यह लेखनी भी….

April 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अद्भुत है यह लेखनी भी
स्वयं को ब्रह्मा बना देती है
कभी करुण रस का पान करती है
कभी प्रेम की सरिता बन जाती है
जहाँ रवि नहीं पहुँचता है
वहां प्रकाश ये फैलती है
दिल की गहराई भी समझती है
और आंखों में उतर जाती है।।

by Pragya

पाश्चात्य सभ्यता के गुलाम

April 17, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह देश ब्रह्मा-चरक-
पतंजलि का है क्या??
तो बेटियों को पेट में ही
क्यों मार देते हैं
विज्ञान अभिशाप है या वरदान
पेट में बेटा है या बेटी
बता देते हैं
कैसी मानसिकता है
जो राह चलती लड़की को
एसिड फेंक देते हैं
अपनी हवस का शिकार
उन्हें बना लेते हैं
ये देश है हमारा और
हम ही भारतीय से
पाश्चात्य सभ्यता के
गुलाम बनते जा रहे हैं।।

by Pragya

मत बांधों मेरी नाव को….

April 16, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहाँ गई वो दानवीर कर्ण की संतानें ???
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मत बाँधो मेरी नाव को
तैरने दो
इसे पीर के विशाल सागर में
भर गया है जो
इन दिनों पीड़ितों की
दयनीय दशा देखकर
चौराहों पर अध कटे हाँथों से
भीख मांगते लोगों को देखकर
नहीं निगाह करते
बगल से गुज़र जाते हैं
जो देखते भी हैं
हँस के चले जाते हैं
कहाँ गई वो दानवीर कर्ण की संतानें?
कहाँ गई वो संवेदनाएँ?
क्या ये संवेदनाएँ सिर्फ
कवि की कविताओं तक ही सीमित हैं
या हकीकत की जमीन पर भी है
उनका कुछ वजूद…!!!

by Pragya

बेटों का दर्द

April 16, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेटियों का दर्द
तो सब जानते हैं
पर बेटों के दर्द को
कहां किसी ने देखा है
बेटियाँ चली जाती हैं
घर छोड़ कर
फिर उस घर की
बेटा ही तो देख-रेख करता है
प्यार वह भी करता है
अपने माँ बाप से
अकेले होने पर सिसकता है
दिखा नहीं पाता पर
वह भी खूब रोता है।।

by Pragya

बेवफा तो यूँ ही बदनाम हैं

April 15, 2021 in शेर-ओ-शायरी

वफा तो वही करेगा
वफा करना जिसका काम हैं,
अक्सर वफादार है बेवफाई करते हैं
बेवफा तो यूं ही बदनाम हैं।।

by Pragya

आंखों की पुतलियों में तू…

April 15, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कई साल गुजर गए पर
आज भी महसूस होता है
जब भी तू इन गलियों से गुजरता है
तेरा आना जाना लगा रहता है
दिल की गलियों में
आंखों की पुतलियों में तू घूमता रहता है
इश्क करना है तो इश्क कर ले
मिटा देना है तो मुझे दिल से मिटा दे
पर यूँ मेरे आस-पास रहकर ऐ बेवफा !
मुझे ऐसी ना सजा दे।।

by Pragya

संविधान निर्माता डॉक्टर:- भीमराव अंबेडकर

April 14, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

संविधान निर्माता
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
को है शत शत नमन
जिन्होंने बढ़ाई देश की शान
हम करते हैं उनका वंदन
संविधान निर्माण किया और
पालन करना सीख लाया
भीमराव अंबेडकर ने
संविधान का निर्माण कराया।।

by Pragya

सत्यमार्ग पर चलना होगा

April 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

गोरी-चिट्टी, काली चमड़ी
को रगड़ रगड़ क्यों धोता है।

यह सब कुछ है नश्वर है
जग में कर्मों का लेखा-जोखा होता है।

कौन है गोरा कौन है काला
यह ना रखता कोई याद,

अच्छे व्यवहार को ही हर कोई
रखता है याद मरने के बाद।

यह कहकर ना रोता कोई
वह तो कितना गोरा था,

वह अच्छा था, वह प्यारा था
ज्ञान की बातें करता था।

कर्मों से ही भले-बुरे की
होती है पहचान यहाँ,

जो-जो तुमने यहां किया है
भोगोगे भगवान वहां।

सत्यमार्ग पर चलना होगा
सत्कर्मों को करना होगा,

अपने स्वार्थ, लोभ के आगे
हे प्रज्ञा! तुझे निकलना होगा।।

by Pragya

आया है नव वर्ष सभी को खूब बधाई। हो गए हम तो कृतार्थ घर नवदुर्गा।।

April 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आया है नव वर्ष
सभी को खूब बधाई
हो गए हम तो कृतार्थ
घर नवदुर्गा आई
घर नवदुर्गा आईं ,
लेकर छोटा रूप
धूप, दीप, नैवेद्य और
लेकर थोड़ी धूप
मैया का वंदन किया
मिला है मन को सुख
मिला है मन को सुख
मिटेंगे पाप हमारे
खुशियां नंगे पैर खड़ी हैं मेरे द्वारे।।

by Pragya

ना हो कोई द्वेष मिले सब गले लगाकर।।

April 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हिंदू पंचांग के अनुसार
आया नव वर्ष हमारा
दुख बीते और सुख आये
है यही संदेश हमारा
है यही विनती हमारी
मिट जाए सबके क्लेश
प्रेम ही प्रेम दिखे चित ओर
ना हो कोई द्वेष
ना हो कोई द्वेष
मिले सब गले लगाकर
मन के मैल धुलें बीती बात भुलाकर ।।

by Pragya

जय हो दुर्गा जय हो। काली जय हो दुर्गे खप्पर वाली।।

April 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

नया वर्ष आया है मित्रों
मनाओ इसको तन मन धन से
मां दुर्गा का वंदन करके
नतमस्तक कर दो सिर को
चैत्र मास आरंभ हुआ
आया है नवल प्रभात
धन्य भारतीय संस्कृति
धन्य है इसकी बात
खिले पलाश, आई नव कोपल
मधुर मधुर छाई सुगंध
फागुन के रंग से रंगे
चैत्र मास के कोमल अंग
जय हो दुर्गा जय हो काली
जय हो दुर्गे खप्पर वाली।।

आप सभी को नव वर्ष की तथा नवरात्रि के प्रथम दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।।
जय हो शैलपुत्री माता की।।

by Pragya

आज वह मुरझा गया…!!!

April 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

इतना छोटा था उसे
सेवा करके बड़ा किया था
सोंचा और फले-फूले,
चारों दिशाओं में फैले
इसी नीयत से,
उसे बड़े गमले में लगाया
खूब खाद डाली
खूब जल पिलाया
बच्चों की तरह जिसे
रोज नहलाती थी,
वक्त पड़ने पर उसे सहारा देती थी
दिशा दिखाती थी
आज वही मुरझा गया
हाय !
दिल दु:ख रहा
हाय !
अब क्या करूं!!
मेरा वर्षों से लगाया
मनी प्लांट मुरझा गया…!!!😭😭

by Pragya

मेरा हृदय बोला….

April 12, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी ने कहा
लिखा करो
किसी ने कहा पढ़ा करो
यूं वक्त ना जाया करो
कविता तो बाद में भी लिखी
जा सकतीं हैं
वक्त रहते पढ़ा करो..

मेरा हृदय बोला दुनिया की
कब तक सुनोगी
कुछ अपने मन की भी किया करो…

by Pragya

कहे कवि! परीक्षा की अब करो तैयारी

April 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हंसी आ गई मुझको कि
अब आया तुमको होश,
जब यहां अवसान पड़ा था
तब ना आया यह जोश
अपना यह जोश संभालो
करो परिश्रम
यदि पड़ जाओ अकेले तो
देंगे साथ हम
देंगे आपका साथ अगर पड़ गये अकेले
यह मंजिल पाने की खातिर
कितने पापड़ बेले
अब तुमको भी पढ़कर
आगे बढ़ना है
असफलताओं से हार कर
ना पीछे हटना है
कहे कवि !
कि परीक्षा की अब करो तैयारी
है चुनाव आने वाला,
आईं हैं बैकेंसी भारी…..

by Pragya

बेटा बीमार है….

April 11, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

बेटा बीमार है
ना होश है
ना करार है
कल से एक निवाला तक
गले ना उतरा
बेटे को बहुत बुखार है
क्या करूं ?
कैसे जियूं !
यही तो मेरे जीवन का आधार है

by Pragya

“बेदर्द से इश्क”

April 10, 2021 in शेर-ओ-शायरी

क्यों कोई मोहब्बत के
काबिल नहीं होता ?
क्यों हर किसी के सीने में
दिल नहीं होता ?
क्यों होता है उसी बेदर्द से इश्क !
जो इस दिल के काबिल
नहीं होता…!!

by Pragya

अब फिर से उस तरफ से खत आ रहे हैं….

April 10, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अब फिर से उस तरफ से
खत आ रहें हैं
वो अपने नुमाइन्दों से मेरी खैरियत
पुंछवा रहे हैं….

हमारी फिक्र है या हमारी आरजू
हम कैसे हैं ? बस वो यह
जानना चाह रहे हैं…

भूल बैठे थे हम उन्हें
कल परसों ही
आज फिर हम बीमार हुए
जा रहे हैं…

शायद उन्हें एहसास हो आया है
अपनी खताओं का
या वो बस हमें यूं ही
सता रहे हैं…

मुद्दतों बाद हमनें जीना सीखा है
उन बिन और
अब वो लौटना चाह रहें हैं….

अब फिर से उस तरफ से
खत आ रहे हैं
वो हमारी खबर लेने
घर आ रहे हैं….

by Pragya

आराध्य:- हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

कि अब ना बजती
बंशी की धुन कहीं
गइयों को ठौर नहीं
माखन चुराने आ जाओ…

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

दुर्योधन यहां अब बड़े
निर्भीक हैं
द्रौपदियों का ना अब
बढ़ता चीर है
कौरवों को मिटाने आ जाओ…

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

मीरा की भक्ति का
कोई मोल नहीं
अब वो राधा, अब वो प्रेम नहीं
निश्छल प्रेम सिखाने आ जाओ

हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ
हे कृष्ण ! पुन: तुम आ जाओ ||

by Pragya

सुबह होगी:- स्वर्ण रश्मियों को झोले में लेकर….

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सुबह होगी
हाँ, सुबह होगी
लेकर स्वर्ण रश्मियों को
अपने झोले में
कुछ खंगालेगी
गेहूं की अधपकी बालियों को
लहलायेगी
उलझी हुई वृक्षों की लटों को
सुलझाकर
नदियों को काला टीका लगाकर
कुछ गुनगुनाएगी
समुंदर में स्नान कर
अपनी भीगी जुल्फों को
पुष्पों पर झटक कर
इतराएगी….

कुछ इस तरह से
कल सुबह होगी…..

by Pragya

पेट में हैं दांत…!! मैं मजदूर कहाऊं

April 9, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

नही हाथ में उंगलियां
पर पेट में हैं दात
जितना कमाती है किस्मत
उतना खाती आंत
उतना खाती आंत
करूं क्या मुझे बताओ
मेरी हालत पर
तुम ना हमदर्दी दिखाओ
काम कराओ
फिर मुझको दो
हक का दाना
मजदूर हूँ पर
मजबूर ना हमें बतलाना
कर्म करके भरता हूँ पेट
मुफ्त की मैं ना खाऊं
हूँ मजदूर इसी कारण
मैं मजबूर कहाऊं…

by Pragya

ओ लेखनी ! सुन बात मेरी ( हाईकु विधा से अलंकृत )

April 8, 2021 in Haiku

जापानी विधा:- हाईकु कविता
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ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
लिख अब दीन हीनों का दर्द तू
बढ़ चल कर्म पथ पर…

रह अडिग और बन सबल
भेद सारे खोल दे मन के तू
भाव सारे बोल दे अब…

पथिक को रस्ता दिखा कर
युवा को दिला कर जोश – उत्साह भर
सच सदा तू लिखती रहे…

ओ लेखनी ! सुन बात मेरी
निश दिन तू तप कर भाव में
निखरती रहे यह दुआ है…

by Pragya

ओ रोशनी ! चली आ….

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ रोशनी! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा
जगमग कर दे यह जग
ओ प्रकाशपुंज !
भर प्रकाश जीवन में
पुष्पों की लालिमा से
महक उठे यौवन
ओ रोशनी ! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा…

by Pragya

“मेरे वाचन में हो सच्चाई”

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे वाचन में हो सच्चाई
व्यक्तित्व में हो अच्छाई

हे देव ! मुझे ऐसा वर दो
मुझको मानवता दे दिखलाई

ना कभी किसी का दिल तोड़ूं
किसी पर आई आंच को सिर ले लूं

जब बोलूं सदा ही सच बोलूं
पशुओं की पशुता को छोंड़ूं

हर ओर बिखेरूं मैं खुशियाँ
रंगो से भरी हो यह दुनिया

सद्कर्म करूं और मन तोलूं
ना कभी किसी का घर तोड़ूं

हे देव ! महेश, ब्रह्मा, विष्णु
मैं मोक्ष प्राप्त कर तुझमें मिलूं….

by Pragya

तान छेंड़ मुरली की गीत नया गा गया ( माधुर्य से अलंकृत )

April 7, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तान छेंड़ मुरली की
गीत नया गा गया
मेरी झुर्रियों भरे
यौवन में कसाव आ गया
पपीहे पीह-पीह
बजने लगी जब
कान बीच
मृदंग बजे जीवन में
यों उछाल आ गया
मटकी धर सीस
चली कुंज गली राधिका
अधरों धर मुरली
प्रज्ञा’ मेरा श्याम आ गया
आज हुई प्रीत की जो
बात रात सपनों में
मुझको भी याद
मेरा प्रथम प्यार आ गया….

by Pragya

अभी कहाँ तू थककर बैठ गया ! तुझे क्षितिज तक जाना है…

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन में उत्साह हो
मन नाचे बनकर मोर
हे युवा ! तू परिश्रम कर
सफलता मिलेगी घनघोर
अभी तो तूने जीवन की
बस एक दोपहरी देखी है
अभी तो तूने सावन की
बस पहली बारिश देखी है
अभी तो तुझको अपनी हथेली पर
भाग्य का दिनकर उगाना है
भावों का मंथन करके तुझको
साहित्य का सागर पाना है
अभी कहाँ तू थककर बैठ गया
तुझे क्षितिज तक जाना है….

by Pragya

इश्क किया है जी, हमने इश्क किया है…

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

दर्द से जियादा
हमें दर्द मिला है
इश्क किया है
जी, हमने इश्क किया है
कुछ मिली खुशी तो
हमें गम भी मिला है
इश्क किया है
जी, हमने इश्क किया है

by Pragya

सिसक रही तन्हाई, अब साथी से क्या होगा ????

April 6, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सिसक रही तन्हाई
अब क्या साथी से होगा ?
जब मन के घाव बने नासूर
तब मरहम से क्या होगा ?
हम तो अपने ही घर में
हाँ, हो गये एक रोज पराये
बन बैठे आज फफोले
थे जो तुमने घाव लगाये
अभिमन्यु- सा तुमने
मुझको चक्रव्यूह में घेरा
जब हाथ था मैने बढा़या
तब तुमने ही था मुंह फेरा
मंजिल-मंजिल करके तुम
फिर मुझसे दूर गये थे
क्या भूल गये वो दिन तुम
जब मुझसे दूर गये थे…

by Pragya

“परिपक्व बंधन”

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

हमारे परिपक्व बंधन पर था
घोर अंधेरा छाया
एक भंवरे ने आकर के
तेरा हाल बताया
तेरी बेचैनी पर मेरी आँख
भर आई
तेरी नादानी पर मुझको
हँसी खूब है आई
ये कैसा अल्हण पन है ?
यह फागुन का मौसम है
आ बाँहों में तू आ जा
यह मन अब भी पावन है
है तूने दूरी बनाई
है पास तुझे ही आना
एक वादा अब कर देना
फिर दूर कभी ना जाना….

by Pragya

कोरोना का कहर, हर गली हर शहर

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कोरोना का कहर
हर गली हर शहर

फिर से बढ़ रही है यह बीमारी
जनता मरती जाती बेचारी

आई है वैक्सीन नवेली
तुम आज ही लगवाओ सहेली

अपनी फिर से करो सुरक्षा
फिर से ठप्प हो गई शिक्षा

तुम कहीं भी घूमने जाओ
लेकिन मास्क लगाकर जाओ

मत लो तुम इसको हल्के में
मिलती जान नहीं सस्ते में

ना हो किसी को यह बीमारी
यही प्रार्थना है ईश ! हमारी

by Pragya

हम रचयिता हैं, हम कालिदास हैं…

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह साहित्य महज
चंद लेखनियों का गुलाम नहीं
हम जैसे कितने आएगे और कितने जाएगे
हर कवि जोड़ेगा एक पन्ना और
अनगिनत पाठक पढ़ते जाएगे
कुछ ऐसा लिखेंगे हम और
कुछ ऐसा कर जाएगे
जो साथ अधूरा ही छोंड़ गये
ऐसे इतिहास को मिटाते जाएगे
जोड़ेगे कुछ अध्याय हम
जीवन के इतिहास में
कुछ फेर बदल भी करते जाएगे
हम रचयिता हैं, हम कालिदास हैं
आने वाली पीढ़ी को कुछ बेहतर दे जाएगे…

by Pragya

“साहित्य है समाज का दर्पण”

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

स्वयं को निखारना पड़ेगा
अभी और अग्नि में तपना पड़ेगा
ऐ लेखनी ! अभी तो तुझे
दूर तक जाना है
पाठक के हृदय में उतरना पड़ेगा
इस जिन्दगी के सफर में
कोई तो हो आधार
जिसको अपनी माला में
पिरोना पड़ेगा
साहित्य है समाज का दर्पण’
इसे तो पारदर्शी करना पड़ेगा….

by Pragya

मैं फिर भी तुमको चाहूंगी (साहित्य को समर्पित)

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिथ्याओं पर आधारित
है साहब ! सोंच तुम्हारी
अब तो सारी बातें हैं
लगती झूँठ तुम्हारी
मेरी अभिलाषा का
है तुमने जो उपहास किया
मेरी करुण व्यथा का
है तुमने जो अपमान किया
ना कभी माफ कर पाऊँगी
ना हिय से उसे भुलाऊंगी
ऐ साहित्य ! तुझे मेरा प्रणाम
मैं फिर भी तुमको चाहूंगी।।

by Pragya

तेरी खामोशियां

April 5, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरी खामोशियां आज भी
गीत गाती हैं
लबों पर मेरे
मुस्कान आती हैं
रात थम जाती है
उस वक़्त
जब भी तेरी याद आती है ।।

by Pragya

तेरे अंतस् में सखी…

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे अंतस् में सखी
उठा है जो भी ताप
कल वह सब बुझ जाएगा
जब आएगा नवल प्रभात
इच्छा यह मेरी है कि विजय
होगी तुम्हारी
जिस कारण तुम रूठी
वह बातें मिथ्या सारी
तेरी मंजिल तुझको कल मिल जाएगी
प्रज्ञा फिर भी यहीं रहेगी
लौट कहीं ना जाएगी….

by Pragya

अवकाश पर जाएगी ईष्या…

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ रात ! सो जा जरा
कल होगा नया सवेरा
जिसमें उगेगा परिश्रम का सूरज
धूमेगा धरा को निज
अवकाश पर जायेगी ईष्या
मिट जाएगी तेरी हर शंका…

by Pragya

रे मन ! तू परोपकार कर

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

रे मन ! तू परोपकार कर
निज तन की तू थोड़ चाकरी
मानवता कर
रे मन ! तू परोपकार कर
अपने दु:ख को थोंड़
मनुष की सेवा तू कर
रे मन ! तू परोपकार कर
तृष्णा की चांह नहीं कर
सबसे प्रेम करे जा
ईष्या से ऊपर आकर
तू प्रेम किये जा
रे मन ! लिख ऐसा
जिससे भला हो जग का
भोगी का भी जोग जगे
कल्याण हो जग का..

by Pragya

“लक्ष्मीबाई से कुछ सीख”

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

रानी लक्ष्मीबाई ने भारत से किया
प्राणों से बढ़कर प्रेम
देश की खातिर कर दिया
प्राणों का भी होम
प्राणों का भी होम
करके यह देश बचाया
अंग्रेजों के आगे कभी ना
सिर को झुकाया
हंसते-हंसते हवन कर दिया
अपना वीर-शरीर
ओ कुत्सित ! ओ आलसी !
लक्ष्मीबाई से कुछ सीख..

by Pragya

किन्नर होना अभिशाप है !!

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

किन्नर होना अभिशाप है !!
यह जाना जन्म पाकर
जहां भी जाऊं माहौल
बन जाता है हास्यास्पद
मैं तो गौरी शंकर का रूप हूं
हां मैं अर्धनारीश्वर हूं
क्यों नहीं समझते
दुनिया वाले मुझको अपने जैसा
हां तन से हूं विचित्र
पर मन से बिल्कुल वैसा
मेरी दुआएं हर किसी के काम आतीं हैं
लोगों की व्यंगात्मक निगाहें
मेरे मन को छोल जाती हैं
मेरी दुआओं की तरह
मुझे भी अपना लो
प्रेम ना करो तो
थोड़ी मानवता ही अपना लो।।

by Pragya

हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं???

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

लिखने को साहित्य अब
होता है मन बेचैन
इस जीवन की व्यस्तता
लेने ना देती चैन,
लेने ना देती चैन
लिखने को व्याकुल है मन
मन के कागज पर
लिखने को आतुर है तन
हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं ??
मानवता का हो कल्याण ऐसे भाव कहां से लाऊं ??

by Pragya

ओ कवियों की लेखनी! सावन का यह मंच

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

सावन का मंच
*****************
ओ कवियों की लेखनी!
लिखो खूब साहित्य
लिखो खूब साहित्य
सफल हिंदी को कर दो
सावन का यह मंच
पल्लवित पुष्पित कर दो।।

by Pragya

ओ माँ ! :- तेरी पूजा ईश्वर से पहले

March 31, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

ममता की मूरत है तू
निज प्राणों की सूरत है तू
हे ममता की मूरत !
लक्ष्मी की सूरत है तू
तूने हमको जन्म दिया
खाने को मीठा भोग दिया
महीने रखकर पेट में तूने
अपने रक्त से यह जीवन सिंचित किया
तेरी पूजा इश्वर से पहले
क्यों न हो ? आखिर क्यों न हो ?
तू ही है मेरी प्राणदायनी
तू ही तो गंगाजल है
ओ माँ ! तेरे चरणों में
इस प्रज्ञा’ का नत मस्तक है।।

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