जीत जाएंगे

April 27, 2021 in शेर-ओ-शायरी

जंग जारी है कोरोना के खिलाफ एक दिन जीत जाएंगे
पतझड़ है घबरा मत बसंत आएगा गीत गाएंगे

इंसानियत धर्म

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

अवतार है अनेक भगवान् एक है

मजहब के नाम पर लड़ना न नेक है

सब अपने रिवाजों से करे ईश वंदना
इंसानियत भी धर्म है कहता विवेक है

पहले कर्तव्य

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

पहले करे कर्तव्य फिर अधिकार लीजिए
कर्मो की है प्रधानता संसार लीजिए
काटेंगे फसल कल बोयेगे बीज आज
कुछ प्यार लीजिए कुछ प्यार दीजिए

बादल

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

शिव नहीं है चंदन नहीं हैं मगर सांपो को लिपटाए हैं
आज कल इस धरती में इसी तरह के बादल छाए है

दुआए

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

कुछ नहीं कर सकते हो तो दुआए करो
शायद कबूल हो जाए
महामारी का शूल चुभा है जो
शायद गुलाब का फूल हो जाए

परोपकार

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

दौलत का गरूर मत कर खाली हाथ जाएगा
तेरा शुभ करम ही तेरी पहचान बनाएगा

कुछ पुण्य भी कमा लो करके परोपकार
इस लोक में उस लोक में तुझको बचाएगा

धरोहर

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

वर्षो कि कमाई को करना नहीं बेकार
कुरवनियो से हो सका है देश बन तैयार
ये देश है धरोहर रखना सम्हाल कर
हम भी है जिम्मेदार तुम भी हो जिम्मेदार

बेटा बेटी

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

समझ गया है जमाना बेटा बेटी में फर्क नहीं होता
जागरूक होते पहले से तो जीवन नर्क नहीं होता
कन्या भ्रूण हत्या करना कराना अपराध है
अनमोल है दोनों के बीच और कोई तर्क नहीं होता

दीपक जलाएं

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

आओ सब मिलकर एक दीपक जलाए
रोशनी करके अपनो के बीच का अंधेरा भगाए
दलित उपेक्षित पीडि़तो के बच्चों को
उनके घर जाकर निशुल्क पढ़ाए

सच्चा सुख

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

सच्चा सुख मिलता है मेहनत की कमाई से
बच के चलना जरूरी है इस युग की बुराई से
ईमानदारी से बढ़कर कोई नीति नहीं है
जीवन को सफल बनाए करके भलाई से

प्यार

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

प्यार करना आसान है मुश्किल है निभाना नादानी मत करना सोच समझ कर जाना
खिलौना समझकर खिलवाड़ मत करना
उम्र भर ये रिश्ता पड़ता है चलाना

आशियाना

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

अपने ही घर को मंदिर बना ले कही और नहीं जाना

बोलती प्रतिमाए है घर के सदस्य सभी
पुजारी की तरह अपना बना आशियाना

मां बाप

April 26, 2021 in शेर-ओ-शायरी

पाएगा कुछ न वन्दे भगवान् को भुलाकर
हसने की सोचता है मां बाप को रुलाकर
इंसान के अवतार में भगवान् को पाया
इनके चरण है चंदन पानी सा घुला कर

गाँव में

April 26, 2021 in गीत

गाँव में खेत हरे और है खलिहान
गाँव में कूप, नल और है मैदान
गाँव में बाग बन और है किसान

गाँव में है भारत माता के प्राण
गाँव में है कच्ची सड़क कच्चे मकान
गाँव में है धंधा शहर सी दुकान
गाँव में है शुद्ध जल और शुद्ध प्राण
गाँव में है एकता देश की पहचान
गाँव में दया है और धर्म, दान
गाँव में है भोले भाले इंसान
गाँव में है खेल कूद पशु के स्थान
गाँव में है रोजगार और है खदान
गाँव के लोग होते हैं बलवान
गाँव के अन्न मे बस्ते भगवान्
शहर बढ़ी भीड़ गाँव घूमो इन्सान

भूख

April 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

भूख जब आती है
तन मन में हलचल मचाती है भूख को
जिंदा रखने के लिए
दुनिया क्या क्या नहीं खाती
भूख जब भूखी रह जाती है
शैतान, हैवान बन जाती है
भूख मिटाने के लिए
शरम और इज्जत भी खाती है
डाकू, आतंकी बनाती है
मगर भूख जब ईमानदारी से मिट जाती है
इंसान को भगवान् बनाती है
भूख मरी तो मर जाएगा जीव इसलिए इसका
जिंदा रहना जरूरी है
कितना भी खाओ भूख रहती
अधूरी है

कुल्हाड़ी मत चलाना

April 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहा पेड़ ने मानव से
कुल्हाड़ी मत चलाना
मैं तुम्हारा पांव हूँ
जब जाओगे मझधार में
मैं तुम्हारी नाव हूं
बचोगे तुम भी नहीं मुझे मारकर
मैं तुम्हारी छाँव हूं
प्यासे मर जाओगे
मै बदलो को लुभाने वाला t
ठाव हूं
मर जाओगे प्रदूषण से
मै तुम्हारी आखरी
दाँव हूं
मुझे पालो काल से बचाउंगा
मै तुम्हारा प्यारा गाँव हूं
कुल्हाड़ी मत चलाना
मैं तुम्हारा
शुकून, सुख, शांति, समृद्धि से
भरने वाला घाव हूं
कुल्हाड़ी मत चलाना

हे! बापू आओ

April 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अंग्रेजों के
साहित्य और विचार
हमारे मन मस्तिष्क में बैठे हैं
डेरा डाल
फूट डालो शासन करो नीति जैसे
है हाल
हमारी संस्कृति उपेक्षित है
हम उलझे हैं
अंधे अनुकरण के जाल
हिंदी भाषा शर्माती है
अंग्रेजी मालामाल
अंग्रेजो की हिंसा का जहर फैल रहा ज्यों व्याल
शोषण का पोषण कर दिया है कमाल
वही पेड़ काट रहे बैठे हैं
जिसकी डाल
भेद वाद जारी है
बज रहे हैं ताल
भ्रष्टाचार दंगो के घूमते
दलाल
असहयोग आंदोलन कर रहे
देश के लाल
भारत माता हुई फिर से
बेहाल
अपने ही काट रहे अपनो का
भाल

कैसे सजाए भारत मां की
आरती की
थाल

रावण जिंदा हो गया है

April 26, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

यह सच है कि
जिस रावण को राम ने मारा था
वह मर गया था
लेकिन कुछ दिनो बाद
प्रतिशोध की ज्वाला में जलते हुए
आया शुक्राचार्य
संजीवनी शक्ति का किया संचार
कर दिया रावण को पुनः जिंदा
पूरी सेना किया तैयार
इस रावण के दस नहीं शिर थे कई हजार
अनगिनत भुजाओं में असंख्य हथियार
ये हरण नहीं करता नारियों का
करता है बलात्कार
रहता नहीं है यह लंका
पूरी दुनिया में बजता है
इसका डंका
इसका भाई कुंभकरण भी खाता है दिन रात
सोता नहीं है
मार डालता है उसको जो
रावण का होता नहीं
मचता गया हाहाकार
तब सज्जन दो चार
गए विष्णु के द्वार
कब लोगे प्रभु अवतार
भगवान् ने कहा
जब नहीं रह जाएंगे तुम जैसे दो चार
संसार करेगा रावण की अधीनता स्वीकार
तब शिव का तीसरा नेत्र
खुल जाएगा
प्रलय नृत्य करेंगे शिव
प्रथ्वी का नाश होगा
कोई नहीं
बच पाएगा
जब तक प्रलय नहीं होता तब तक
शरण लो अजर अमर हनुमान की
वही रक्षा करेगे तुम्हारे
धर्म और प्राण की
बोलो जय हनुमान की
कलयुग के भगवान् की

जमाना

April 26, 2021 in Other

बीत गया है ख़ुशी और गम बांटने का जमाना
पागलपन है अकेले ही हंसना रोना गुनगुनाना
काटते हैं ये जब इन्हें बांटते नहीं हैं
कितना मुश्किल है अब सुनना और सुनाना
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है मगर सब मौन
कोई मतलब नहीं रहा जिए या मरे जमाना
कह नहीं पा रहे कहे बिन रह नहीं पा रहे जारी है जीवन में सुख दुख का आना जाना
खड़े हैं मेले में अकेले अकेले से
कितना मुश्किल है अपने को पहचान पाना
मर गये हैं संवाद और संवेदना आज के इस दौर
बेहोश समझ कर मकसद था इन्हे जीवित कराना
मशीनों से मुहब्बत कहे या यंत्रों की गुलामी
पानी सा फोन दिखता और मीन सा जमाना
दुनिया ये काम में अब व्यस्त है इतना
प्रचलन में नहीं लोरिया सुनना व सुनाना
बोझा सा ढोके थक रहे अपनों को अपने लोग
गूगल गुरु से पूंछःते वृद्ध आश्रम ठिकाना
नाते व रिश्ते आज औपचारिक हुए
भूलते ही गए लोग अब इनको निभाना
नफरत की लताओ से पादप घिरे हुए
कितना है मुश्किल शाख से अब वंशी बनाना

O

मतदान

April 25, 2021 in Other

मतदान से बड़ा कोई दान नहीं होता है
एक बार दे दिया तो उसे पांच साल ढोता है
यदि चाहते हो सचमुच निज देश का विकास
दिन में जागेगा नेता तब देश सुख से सोता है

आतंकवाद

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

आतंकवाद की जड़ को काटने की जरूरत है
जेल मे डालो या फांसी दो देखना नहीं मुहूर्त है
इसने इंसानियत को शर्मसार किया है
इंसान के अंदर छिपे ये शैतान की सूरत है

जय हिंद

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

इक्कीसवीं सदी का हमारा हिंदुस्तान है
घूर नहीं सकता कोई अब इतना बलवान है
आतंकवाद अब नहीं बर्दास्त करेंगे
अंतरिक्ष हो या धरती अपनी अलग पहचान है

धरती

April 25, 2021 in Poetry on Picture Contest

वस्त्रों के बिना नारी शोभा नहीं पाती है
धरती को किया नंगी और शरम नहीं आती है
कैसे सपूत हो तुम जब मां तड़प रही
पीने को शुद्ध पानी ऑक्सिजन नहीं पाती है
प्रथ्वी दिवस मनाकर आजाद हो गए
परमाणु बम की होड़ से प्रथ्वी कि फटती छातहै
ओजोन छिद्र की उसे चिंता सता रही
सरकार फैक्ट्री की स्थापना कराती है
जीवन है इसी गृह में यह जानने के बाद
जनता जनार्दन इसे अब क्यूँ नहीं बचाती है बीमारियों की जड़ है इंसान तेरी भूख
जनसंख्या मत बढ़ाओ प्रथ्वी नहीं बढ़ पाती है

भारत बसेरा है

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

यह सच है कि मुझे काले काले बादलों ने घेरा है
इतना आसान नहीं है मुझे डराना क्यूंकि भारत में मेरा बसेरा है

कसाई खाना

April 25, 2021 in मुक्तक

कहा बकरी ने मेमने से
मैं तुझे जहां भेजती हूँ
हंसते हुए जाना
ले जाने वाला भगवान् के सामने तेरी काटेगा गर्दन
और तेरे जिसम का प्रसाद बांटेगा मगर तुम
रोना मत
क्यूँकि ये संसार एक कसाई खाना है
यहां सबको इसी तरह जाना है

हमारी धरती मां

April 25, 2021 in Poetry on Picture Contest

गेंद जैसी गोल
धरोहर है अनमोल
थकती नहीं दिन रात सूरज के चक्कर लगाती है जीवो को अपने अंचल में बसाती है इसीलिए तो यह धरती माता कहलाती है
लेकिन कई दिनो से है यह बीमार
ऊपर से परमाणु परीक्षण उसके अस्तित्व को रहा है ललकार
ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण, वनो का संहार जैसे भयानक खतरे हैं तैयार
फिर भी वह देती है पुत्रों को उपहार
ममता दया दुलार
आओ सब मिल करे अपनी धरती मां का श्रंगार

हमारी धरती मां

April 25, 2021 in Poetry on Picture Contest

गेंद जैसी गोल
धरोहर है अनमोल
थकती नहीं दिन रात सूरज के चक्कर लगाती है
सभी जीवो अपने अंचल में बसाती है इसीलिए तो यह धरती माता कहलाती है
लेकिन कई दिनो से है बीमार
थकी नहीं ढोकर जग का भार
डिप्रेशन में चली गई है देख कर अपने पुत्र का बदला हुआ व्यवहार

हमारी धरती मां

April 25, 2021 in Poetry on Picture Contest

गेंद जैसी गोल
धरोहर है अनमोल
थकती नहीं दिन रात सूरज के चक्कर लगाती है
सभी जीवो अपने अंचल में बसाती है इसीलिए ये हमारी धरती माता कहलाती है
लेकिन कई दिनो से है यह बीमार
थकी नहीं है ढोकर संसार का भार
डिप्रेशन में चली गई है देख कर अपने पुत्र का b
बदला व्यवहार
ग्लोबल वॉर्मिंग, ओजोन छिद्र, वनो का संहार
मानो दुर्योधन की सेना हरण करना चाहती है
दोपतीका श्रंगार
कई सदियों से एटम बम परमाणु बम के परीक्षण
धरती के अस्तित्व को रहे हैं ललकार
उसे दुख है कि उसका इलाज कराने के बजाय
उसके पुत्र बेचने को है तैयार

रोशनी

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

तेरे घर की रोशनी क्यूँ देखूँ जब मेरे घर में अंधेरा हो
आखिरी रात न हो जाए कही जब तक हर ओर सबेरा हो
उसकी ख़ुशी हमारे किस काम की जिसे
अहंकार के भूत ने घेरा हो

अजगर

April 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

दसो दिशाओ मे
बड़े बड़े मोटे मोटे अजगर
पड़े हैं तैयार
उत्सुक हैं निगल जाने को संसार
वो हमारे पास भी आते हैं
और कभी हम अपने काम से उनके पास चले जाते हैं
इस प्रकार वो अपना संगठन चलाते हैं
निर्दोष जान गवाते हैं
और वो पैसा कमाते हैं
पैसा से ये नर भक्षी दानवो का परिवार चलाते हैं
अक्सर अनचाहे अजगर ये एक न एक दिन मिल ही जाते हैं

टोकरी

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

एक हाथ से ही अब बजने लगी ताली है
खुशी ग़म की टोकरी कई दिनो से खाली है

राजनीति

April 25, 2021 in ग़ज़ल

आ गया साल है पांचवा जानिए
छा रहा है सहज मेघ ये मानिए
बूंद दो भी बरस के न जाएगा ये
मोर के जैसे शोर को छानिए
घर बनेगा उन्ही का हकीकत यही
पैर के नाप की ही चद्दर तानिेए
भूल जाएंगे वो तुझको दान को
वेवफा था सनम ज्यों उसे जानिए
और बाते बनाना उसे आ रहा
शोषको की कतारों खड़ा जानिए
राजनीती यही है न कोई सगा
आतंको की गढ़ी है पहिचानीए

बचाने के लिए

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मिली नहीं है आंख हरपल आंशु बहाने के लिए क्या कुछ नहीं जहां में देखने दिखाने के लिए
अभी भी समय है हो जाओ सचेत
बहुत कुछ बचा है बचाने के लिए

इंसानियत

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

निभा तो सही सबसे इंसानियत का नाता है
कड़ी धूप और बरसात से बचाने वाला छाता है
परहित से बड़ा कोई धर्म नहीं होता

तेरा ही करम तेरे भाग्य का निर्माता है

वरदान

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

क्यों मांगते हो वरदान परिस्थितिया सदा अनुकूल हो
चलना हमारा काम है गली में कांटे हो या फूल हों

बुरा वक्त है

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

बुरा वक्त है एक दिन यह भी बीत जाएगा
विश्वास बनाए रखना एक दिन जीत जाएगा
परीक्षा है परमात्मा की धैर्य से दे
उम्मीद रख खुशी के गीत गाएगा

खुशियों की बरसात

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

अपने देश में खुशियों बरसात कराएंगे
अनेक प्रकार के ये लोग जिस दिन एक हो जाएंगे

उड़ान

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

चुनौतीया है देश मे कई
हम भी स्वीकार करते हैं
देखकर दंग होता है जहां
जब हम नई उड़ान भरते हैं

सिन्दूर

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

धरती से आकाश जितना दूर होगा
उतना ही दीर्घायु तुम्हारी मांग का सिंदूर होगा

नैतिक जिम्मेदारी

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

नैतिक जिम्मेदारी है सबकी सुंदर परिवेश बनाना फैलती है गंदगी से बीमारियां इनको दूर भगाना

डरो मत

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

डरो मत तूफानों से आते जाते रहेंगे
कवि हैं कविताओं से हिम्मत बढ़ाते रहेंगे

देश के सैनिकों

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

मेरे वतन के सैनिकों अब देश ही परिवार है
कबूल करो देशवासियों की दुआ और प्यार है

देश की पहचान

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

माता कहते हो जिस देश को वहां नारी का सम्मान है
अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है

हौसला

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

हौसला आप यूँ ही बनाए रहे
देश की इस धरा को बचाए रहे
भेड़ियों की सभी चाल नाकाम हो
देश सीमा कि शोभा बढ़ाए रहे

दर्पण

April 25, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज भी नहाते हैं लोग
सुबह उठकर
फिर दर्पण के सम्मुख जाते हैं
दर्पण मे देखकर चेहरा अपना
मुह बनाते हैं, रोते हैं, चिल्लाते हैं
फिर उस दर्पण को छोड़ कर या तोड़कर
बड़े आकार का दर्पण खरीद लाते हैं
परंतु इसके सम्मुख भी जाकर
वही प्रक्रिया दुहराते हैं
मांग बढ़ती देख बाजार में
दर्पण के प्रकार और आकार बढ़ा दिए जाते हैं
क्या हम सचमुच वैसे ही है
जैसा ये दर्पण दिखाते हैं
हां मे जवाब सुनकर
मुह बनाते हैं, रोते हैं, चिल्लाते हैं
मगर दर्पण के सिवाय
अपने आसपास किसी और को नहीं पाते हैं

पर्यावरण के दोहे

April 25, 2021 in मुक्तक

पर्यावरण बचाइए, हे मानव समुदाय
सुख समृद्धि शांति, का है जो पर्याय
नदिया पर्वत वन और, वन्य जीव समुदाय
मानव दानव से हमे, कोई लेव बचाय
धरा वायु जल सब हुए, दूषित सुनो पुकार
प्रकृति रोग वर्षा करे, जगत हुआ बीमार
प्रकृति अंग लकवा हुआ, दुखी नहीं संतान
वृद्धा आश्रम छोड़ कर, कहे जाप भगवान्
एटम बम के पालना, झूले राजकुमार
बापू गौतम बुद्ध की, सभा में हाहाकार
झरना नदिया बाग वन, पर्वत और पठार
रक्षा कर अस्तित्व की, कहत पुकार पुकार

वतन मे खिले

April 25, 2021 in शेर-ओ-शायरी

नीचता ऊ़चता देखते हम चले
आइए भूल जाए न सिक्वे गिले
एक जैसा सदा भाव लेकर चले
फूल जैसा बगीचा वतन. मे खिले

शहादत

April 24, 2021 in शेर-ओ-शायरी

शाहीदो की शहादत कभी हम भुला सकते नहीं
रोना जिन्हे आता नहीं और रुला सकते नहीं

अपराध क्या है?

April 24, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अपराध नहीं है
शेर का हिरण को खाना
चिड़ियों का चुगना दाना
पेड़ का कड़ी धूप में मुस्कुराना
अपराध नहीं है शेर चिड़िया, पेड़ का पाठ शाला न जाना क्यूँकि पाठशाला में जाता है केवल इंसान का बच्चा
अपराध है इंसान के बच्चे का शेर चिडि़या, पेड़ को कच्चा चबाना
अपराध है इंसान के बच्चे की पाठशाला का
जिसने उसकी आदत बिगड़ने दिया
मध्यांह भोजन का देकर खाना
पाठशाला के अभाव में वह अपराध का आदी न होता
सर्वाहारी होने के बाद भी आता नहीं पचाना
अपराध है अस्पतालों का जिसमे बैठे डॉक्टर
उसके उदर की भूख नहीं शांत करा पाए अब तक
यदि यही चला तो तय है प्रथ्वी का इंसान के उदर में जाना
क्योंकि इंसान के बच्चे की पाठशाला ने उसे सिखा दिया है
सब कुछ खाना और पचाना

कोशिश

April 24, 2021 in शेर-ओ-शायरी

कोशिश जारी है एक दिन मंजिल हम भी पाएंगे
जिस रास्ते पर चले हैं चलते रहेंगे कही और नहीं जाएंगे

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