असहायों की मदद को उठो

असहायों की मदद को
उठो, रुको मत, उठो
उठो ना,
जो असहाय हैं, जिनका कोई सहारा नहीं
उन्हें तुम सहारा दो।
जो डूब रहे हैं
उन्हें किनारा दो।
उठो, सोचो मत, उठो
तुम मदद कर सकते हो,
जगाओ अपने भीतर का मानव,
जगाओ, रुको मत, जगाओ
जगाओ ना,
अन्धकार में दीपक जगाओ ना।
तुम नहीं तो
कौन करेगा उजाला।
तुम्हारे पास तेल भी है
बाती भी है,
बचाकर क्या करोगे
जला दो ना।
आज वे असहाय हैं
उनके पास न तेल है न बाती है,
क्या पता कल उनका
सूरज भी उग जाए
आज तुम उजाला दिखा दो ना,
दो रोटी खिला दो ना,
खिला दो, रुको मत, खिला दो
खिला दो ना,
जो भूखे हैं उन्हें
दो रोटी खिला दो ना।
—— डॉ. सतीश पांडेय

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुति।
    उचित आह्वान। परोपकारः सतां विभूतयः की पुष्टि आपकी रचना में है।।

+

New Report

Close