कश्मीरियत ! इन्सानियत !!
गलतियाँ तुमसे भी हुई है , गुनाह हमने भी किये है
पत्थर तुमने फेंके , गोलियों के जख्म हमने भी दिए है ।
गोली से मरे या शहीद हुए पत्थर से; नसले-आदम का खून है आखिर ,
किसी का सुहाग ,किसी की राखी; किसी की छाती का सुकून है आखिर ।
कुछ पहल तो करो , हम दौड़े आने को तैयार बैठे है
पत्थर की फूल उठाओ , हम बंदूके छोड़े आने को तैयार बैठे है ।
बंद करो नफ़रत की खेती , स्वर्ग को स्वर्ग ही रहने दो
बहुत बोल चुके अलगाववाद के ठेकेदार ,अब कश्मीरियत को कुछ कहने दो ।
उतारो जिहाद , अलगाववाद का चश्मा
कि “शैख़ फैज़ल” और बुरहान वानियो में फर्क दिखे
दफन करदो इन बरगलाते जहरीले चेहरों को इंसानियत के नाम पर
कि आने वाली नस्लों की कहानियों में फर्क दिखे ।।
#suthars’
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Udit jindal - September 7, 2016, 11:46 am
बेहतरीन
राम नरेशपुरवाला - September 9, 2019, 8:47 am
Good
Kanchan Dwivedi - March 7, 2020, 11:56 pm
Very nice
Satish Pandey - July 31, 2020, 12:55 am
Nice
Abhishek kumar - July 31, 2020, 9:58 am
Good