क्या बेटी होना गुनाह है
क़भी कोख़ में ही मार डाला उसे,
कभी काट के फेंक दिया खलिहानों में!!
कभी बेंच दिया उसे देह के बाज़ारों में ,
क़भी सरेराह नोचा सड़कों और चौराहों पे!!
जब जी चाहा पूजा देवियों सा,
कभी अपमानित किया उसे गालियों से!!
आगे बढ़ने की चाहत की तो दीवारों में क़ैद हुई,
कभी मान की ख़ातिर उसको झोंक दिया अंगारों में!!
दुर्गा,काली की धरती पर कैसी ये विडंबना ,
इस देश में बेटी होना क्यों है एक गुनाह.. ??
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
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Pragya Shukla - October 11, 2020, 3:55 pm
बहुत ही मार्मिक रचना
अनुवाद - October 11, 2020, 6:25 pm
धन्यवाद 🙂
Satish Pandey - October 11, 2020, 5:14 pm
बहुत गंभीर व मार्मिक अभिव्यक्ति,
अनुवाद - October 11, 2020, 6:25 pm
धन्यवाद सर
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 11, 2020, 7:28 pm
अतिसुंदर
अनुवाद - October 11, 2020, 8:02 pm
धन्यवाद
Geeta kumari - October 11, 2020, 8:57 pm
मार्मिक रचना