क्षणिकाएं
1.
पहली ही सीढ़ी पर
एहसास हुआ,
सर पर खुला आसमां हो भले ही
अब –
पैर तले ज़मीन नहीं
2.
चाहे-अनचाहे उग आए हैं
संबंधों में
अपरिचय के विंध्याचल ;
हम भी जो
पा लेते थोड़ा सा
अगस्त्य का बौनापन !!!
1.
पहली ही सीढ़ी पर
एहसास हुआ,
सर पर खुला आसमां हो भले ही
अब –
पैर तले ज़मीन नहीं
2.
चाहे-अनचाहे उग आए हैं
संबंधों में
अपरिचय के विंध्याचल ;
हम भी जो
पा लेते थोड़ा सा
अगस्त्य का बौनापन !!!
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Nice
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Khub kaha
Nice
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Good
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सुंदर