गैरों को मोहब्बत

कितनी शिद्दत से हम तुझे चाहते थे
तुझको अपना नसीब मानते थे..
*********************************
तुमने हमें छोंड़कर गैरों को मोहब्बत बक्शी
पर हम तो फकत तुझे अपना मानते थे..

Related Articles

अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने।

अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने। मिल गया कोई रईसजादा तो इस मुफलिस गरीब को ठुकराया तुमने।। मेरी मुफलिसी का…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close