नवजीवन का राग
नवजीवन का राग/03
ज्ञान का प्रकाश तुम
धैर्य रख जलाये चलो
अग्यानता को दुर कर
साक्षरता बढाये चलो
दिन क्या रात क्या
खुशी के गीत गाये चलो
अंधकार से प्रकाश में
जीत का जश्न मनाये चलो
प्रीत का गीत सदा
निर्भय हो गुनगुनाये चलो
डर भय अधंकार को
प्रकाश से जलाये चलो
चीर हो साहस का
नज्म हो प्यार का
चन्द्र रवि के किरणो से
मनोबल बढा़ये चलो
नीत वसुधा को प्रणाम कर
तिलक मिट्टी का लगाये चलो
आदम्य साहस के बल पर
वसुधा को स्वर्ग बनाये चलो
महेश गुप्ता जौनपुरी
Good