Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
जीवन भर यह पाप करूँगा
स्वयं टूटकर स्वयं जुडूँगा सब कुछ अपने आप करूँगा। विगत दिनों जो भूलें की हैं उनका पश्चाताप करूँगा।। मेरी त्रुटि थी किया भरोसा मैंने अपने…
पथिक
मीलों का पथ, पथरीला भी पथिक हूं मैं भी, चल दूंगा। सारे मौसम शुष्क रहे क्यों बादल हूं मैं, बदल दूंगा। भीष्म बनो तुम, कर्ण…
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत)
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत) तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है, कल्पना कवि की है, वंचना कवि की है, वंचना कवि…
तेरे दर से उठे कदमों को
**तेरे दर से उठे कदमों को::गज़ल** तेरे दर से उठे कदमों को किस मंज़िल का पता दूंगा मैं, भटक जाऊंगा तेरी राह में और उम्र…
बहुत खूब बहुत शानदार
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत सुंदर
सुंदर प्रस्तुति।
सुंदर पंक्तियां
वाह , बहुत ख़ूब । बहुत सुंदर पंक्तियां
तूफान परेशान कर देता है,और ठंडी पवन सुकून देती है।
वाह, इंदु जी कमाल का लेखन है👏👏
शानदार रचना
क्या बात है