पहचान
अगर मैं होती गरीब किसान की उपजाऊ भूमि
बंजर होने पर जरूर दुत्कार दी जाती
मैं होती कुमार के चाक मिट्टी
उसी के दिए आकार में ढल जाती
मैं होती माली के बाग का फूल
मुरझाने के लिए गुलदस्ते में छोड़ दी जाती
मैं होती किसी महल की राजकुमारी
विवाह के बाद छोड़ उसे मै आती
कहने को तो होती मै लक्ष्मी घर की
पर अलमारी के लॉकर की चाबी बनकर रह जाती
चाहे चिल्लाऊं मै खूब जोर से
फिर भी मन की व्यथा ना कह पाती
चाहे मैं होती किसी जज का हथोड़ा
फिर भी मेरी पहचान ना होती
बनाती फिर भी रसोई में रोटी
सोचती काश ! कोई मेरी भी कोई पहचान होती….
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राम नरेशपुरवाला - November 12, 2019, 11:53 am
Nice
nitu kandera - November 12, 2019, 11:57 am
धन्यवाद
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - November 12, 2019, 1:00 pm
Atisunder Sunder
nitu kandera - November 12, 2019, 3:38 pm
thanks
देवेश साखरे 'देव' - November 12, 2019, 2:55 pm
Nice
nitu kandera - November 12, 2019, 3:38 pm
thanks
NIMISHA SINGHAL - November 12, 2019, 4:03 pm
Nice
nitu kandera - November 16, 2019, 7:59 am
धन्यवाद
Poonam singh - November 12, 2019, 4:39 pm
Good
nitu kandera - November 16, 2019, 8:00 am
धन्यवाद
Poonam singh - November 12, 2019, 4:45 pm
Good
nitu kandera - November 16, 2019, 8:00 am
धन्यवाद
Abhishek kumar - November 24, 2019, 9:06 am
गुड
Pragya Shukla - May 15, 2020, 10:27 am
ये हाईकु विधा नहीं है
Abhishek kumar - May 17, 2020, 12:45 pm
👌
Satish Pandey - August 3, 2020, 9:58 pm
Waah
Satish Pandey - August 3, 2020, 9:59 pm
Bahut khoob