प्यारे उसी के हो लिये

बच्चों की आदत रही
खाकर भूल जाने की
फल उठा बस ले चले
चाहत मरी ठिकाने की

किसमें गलतियां ढूंढे हम
किससे अब शिकायत करें
दोष देगा जमाना दोनों को
दरार है जिसके तहखाने में

संस्कार जिन ग्रंथों में है
उसकी सफाई भूल गये
बाहर झाड़ू ललगाई अक्सर
घर के कोने मैले रह गये

समय जिन्हें देना था
उसे उससे चुराते चले गये
जिसने उसे ये धन दिया
प्यारे उसी के हो लिये

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Responses

  1. संस्कार जिन ग्रंथों में है
    उसकी सफाई भूल गये
    बाहर झाड़ू ललगाई अक्सर
    घर के कोने मैले रह गये
    ———- बहुत सच लिखा है आपने। आज संस्कार भूलते चले जा रहे हैं लोग।

  2. समय जिन्हें देना था
    उसे उससे चुराते चले गये
    जिसने उसे ये धन दिया
    प्यारे उसी के हो लिये
    ___________ समय अभाव के कारण टूटते , बिखरते रिश्तों की सच्ची दास्तान, बयान करते हुए बहुत उम्दा रचना, सुंदर प्रस्तुतिकरण

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