बिटिया रानी
छोटी सी है बिटिया रानी
ऐसी लगती बड़ी सयानी,
अपनी ही भाषा में जाने
क्या कहती है गुड़िया रानी।
वॉकर में बैठाओ कहती
उसमें पांव टिकाकर चलती
खड़े नहीं हो पाती है पर
करती है काफी शैतानी।
कहती है बस गोदी में लो
इधर घुमाओ उधर घुमाओ,
चीजों को मुंह में लेती है,
धूम मचाती गुड़िया रानी।
थोड़ी देर पकड़ती गुड़िया
छम छम छम झुनझुना बजाती,
जिससे खेल लिया फिर उससे
ऊबने लगती गुड़िया रानी।
भूख लगी तो सायरन देती
प्यास लगी तो होंठ बताते,
मम्मी उसकी समझ लेती है
चाहती क्या है गुड़िया रानी।
वाह बहुत ही लाजवाब, वात्सल्य से भरपूर
बहुत बहुत धन्यवाद
वात्सल्यमयी रचना
सादर धन्यवाद
बहुत खूब रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत बढ़िया
सादर धन्यवाद
बहुत सुन्दर
सादर धन्यवाद जी
अरे वाह, कवि सतीश जी ने छोटी सी गुड़िया रानी पर बहुत ही सुन्दर कविता रची है। छोटे बच्चों की हर बाल सुलभ घटनाओं का बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है । अति सुंदर भाव और लय बद्ध शैली से परिपूर्ण अति सुंदर रचना
इस सुन्दर और बेहतरीन समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद गीता जी, आपकी इस समीक्षा शक्ति को सादर अभिवादन।
बहुत सुन्दर वाह
सादर धन्यवाद
बहुत सुन्दर सर वाह, वात्सल्य रस सजा है
बहुत बहुत धन्यवाद
क्या खूब रचना है। मज़ा ही आ गया।गुड़िया रानी की कारगुजारियां पढ़कर दिल खुश हो गया।
सादर नमस्कार, और धन्यवाद जी
Very very nice
Thanks ji
Bhut sundr kavita