बेटी की आवाज
माँ की कोख में ही दबा देते हो,
मुझको रोने से पहले चुपा देते हो,
आँख खुलने से पहले सुला देता हो,
मुझको दुनियां की नज़र से छुपा देते हो,
रख भी देती हूँ गर मैं कदम धरती पर,
मुझको दिल में न तुम जगह देता हो,
आगे बढ़ने की जब भी मै देखूं डगर,
मेरे पैरों में बेडी लगा देते हो,
पढ़ लिख कर खड़ी हो न जाऊं कहीं,
मुझको पढ़ाने से जी तुम चुरा लेते हो,
क्यों दोनों हाथों में मुझको उठाते नहीं,
आँखों से अपनी मुझको बहा देते हो॥
राही (अन्जाना)
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
देव कुमार - January 30, 2017, 1:45 pm
Bahut Khoob
राही अंजाना - January 30, 2017, 1:57 pm
धन्यवाद देव भाई
देव कुमार - January 30, 2017, 2:02 pm
Swagatam Bhai
Anjali Gupta - January 30, 2017, 3:51 pm
nice
राही अंजाना - January 30, 2017, 8:21 pm
Thanks ji
Neha - January 31, 2017, 12:03 pm
Awesome
Abhishek kumar - November 25, 2019, 7:09 pm
सुन्दर रचना