Categories: मुक्तक
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सुन्दर सुन्दर सपने अपने
कविता सुन्दर सुन्दर सपने अपने, सुन्दर अपना हिन्दुस्तान है। जहां बहती नदिया झरने, करती दुनिया गुणगान है। सुन्दर सुन्दर – – – – कर्म धर्म…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
नये लोग, नयी शहर, नयी जहां मुबारक हो तुम्हें ।
नये लोग, नयी शहर, नयी जहां मुबारक हो तुम्हें । जहां की सारी खुशियाँ झुके तेरे कदम,ये दुआ है मेरे ।। नये लोग, नयी शहर,…
आंगन
बचपन का आंगन कहीं छूट गया । पुराना मकान था जो टूट गया ।। ऊँची इमारतें खड़ी वहाँ, सैकड़ों परिवारों का बसेरा है । चारदीवारी…
बिल्कुल सही बात लिखी है आपने। अमिता जी, एकता जी व पाठक जी की बहुत सुंदर कविताओं के रसास्वादन का अवसर प्राप्त हो रहा है। बहुत आनंद की अनुभूति हो रही है।
वाह वाह
वाह वाह क्या बात है